इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
भारत में 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के कम से कम 80 प्रतिशत छात्रों ने कोविड-19 में सीखने के स्तर में कमी आई है।
संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकाल कोष (यूनिसेफ) की रिपोर्ट का कहना है कि यह स्तर बार बार स्कूल बंद होने के कारण आया। 5-13 वर्ष की आयु वर्ग के छात्रों के 76 प्रतिशत माता-पिता ने दूरस्थ शिक्षा के दौरान सीखने के स्तर में गिरावट की बात कही है। यूनिसेफ के दक्षिण एशिया निदेशक जॉर्ज लारिया-एडजेइक ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्कूल बंद होने से लाखों बच्चों और उनके शिक्षकों को शिक्षा के लिए दूरस्थ माध्यमों का सहारा लेना पड़ा है और यह ऐसे क्षेत्र में है, जहां कम कनेक्टिविटी और उपकरण की उपलब्धा भी कम है। उन्होंने कहा कि भले ही परिवार की प्रौद्योगिकी तक पहुंच हो, तब भी बच्चे हमेशा इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं, लिहाजा बच्चों की शिक्षा और उनके सीखने के स्तर को नुकसान पहुंचा है। भारत में 6-13 वर्ष के बीच के 42 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल बंद होने के दौरान किसी भी प्रकार की दूरस्थ शिक्षा का उपयोग नहीं करने की सूचना दी।
रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने पढ़ने के लिए किताबें, वर्कशीट, फोन या वीडियो कॉल, वॉट्सऐप, यूट्यूब, वीडियो कक्षाएं आदि का इस्तेमाल नहीं किया है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि स्कूलों के बंद होने के बाद अधिकतर छात्रों का अपने अध्यापकों के साथ थोड़ा संपर्क रहा। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पांच-13 वर्ष की आयु के कम से कम 42 प्रतिशत छात्र और 14-18 वर्ष की आयु के 29 प्रतिशत छात्र अपने शिक्षकों के संपर्क में नहीं रहे।’ पाकिस्तान में 23 प्रतिशत छोटे बच्चों के पास किसी भी उपकरण तक पहुंच नहीं हैं, जिससे उनकी दूरस्थ शिक्षा में मदद नहीं मिल सकी। स्कूलों को फिर से खोलने पर बातचीत करते हुए यूनिसेफ की भारतीय इकाई के प्रतिनिधि यासमीन अली हक ने कहा कि लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखने से कई बच्चों की पढ़ाई, सामाजिक संवाद और खेलकूद पर असर पड़ा है, जो उनके समग्र विकास के लिए जरूरी है।
इसी तरह हाल ही में कोरोना महामारी के बीच लंबे अरसे तक स्कूल बंद करने के संबंध में किए गए एक अन्य सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण इलाकों के सिर्फ आठ फीसदी बच्चे नियमित रूप से आॅनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं और 37 फीसदी बिल्कुल भी नहीं पढ़ पा रहे हैं।
स्कूल चिल्ड्रेंस आनलाइन एंड आफलाइन लर्निंग (स्कूल) नामक इस रिपोर्ट को कोआर्डिनेशन टीम (निराली बाखला, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज और रीतिका खेड़ा तथा रिसर्चर विपुल पैकरा) ने तैयार की है।
यह स्कूल सर्वे अगस्त 2021 में 15 राज्यों (असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के करीब 1400 बच्चों के बीच कराया गया है।