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जोशीमठ की तरह अब इस राज्य में धंस रही है जमीन! 6 घरों में आईं दरारें

India News (इंडिया न्यूज़), Land sinking in Rainawari: जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के रैनावारी इलाके में उत्तराखंड के जोशीमठ जैसी जमीन धंसने की घटना सामने आई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 9 सदस्यीय कमेटी बनाई है।

जिला उपायुक्त बिलाल मोहिउद्दीन ने बताया कि जमीन धंसने के कारणों का पता लगाने के लिए कमेटी बनाई गई है। बिलाल मोहिउद्दीन भट जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने बताया कि जमीन धंसने और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कमेटी को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

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क्या है पूरी घटना, कहां धंसी जमीन?

श्रीनगर के रैनावारी इलाके में जमीन धंसने की घटना में करीब छह छोटे-बड़े मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। अधिकारियों के आदेश पर प्रभावित परिवारों को मकान खाली करने को कहा गया है। रैनावारी के ख्वाजा पोरा के निवासियों ने बताया कि ईद (17 जून) के दिन पहली बार मकानों में दरारें देखी गईं। पहले तो मकानों को थोड़ा नुकसान हुआ। लेकिन, ये दरारें हर दिन बढ़ती गईं।

रैनावाड़ी श्रीनगर में मकान में जमीन धंसने से दरारें

स्थानीय निवासी मंजूर अहमद ने बताया कि पहले दिन ही तहसीलदार और स्थानीय पुलिस अधिकारी आए थे। तब से कोई अधिकारी हमसे मिलने नहीं आया। इस घटना के बाद आसपास के लोगों में भी डर फैल गया है। जमीन धंसने का कारण अभी तक किसी विभाग ने नहीं बताया है। 2014 की बाढ़ में भी यह इलाका सुरक्षित था।

  1. रैनावाड़ी में जमीन धंसने की घटना अकेली नहीं है। फरवरी 2024 में डोडा जिले के गरसू गांव में एक दर्जन से ज्यादा घरों और एक मस्जिद में जमीन धंसने से दरारें आ गई थीं। यह घटना भूस्खलन की वजह से हुई थी। इससे लोगों में दहशत फैल गई थी।
  2. इसी तरह जुलाई 2023 में अनंतनाग जिले के बटेंगो में नदी के किनारे सड़क पर दरारें देखी गई थीं। इससे स्थानीय लोगों में डर फैल गया था। इस घटना से सड़क के झेलम नदी में गिरने का खतरा पैदा हो गया था।
  3. अप्रैल 2023 में कुपवाड़ा के हलमाथपोरा इलाके में टिंगशोर पहाड़ी पर दरारें देखी गईं। कई टिन शेड क्षतिग्रस्त हो गए। हाल ही में अप्रैल 2024 में रामबन जिले के पेरनोट गांव में 74 परिवारों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

विशेषज्ञों के अनुसार, भूमि धंसने का कारण भूजल विघटन और भूकंप जैसे प्राकृतिक कारक हो सकते हैं। इसके साथ ही भूजल निष्कर्षण, खनन और शहरी विकास जैसी मानवीय गतिविधियाँ भी हो सकती हैं। इससे जमीन का संघनन और धंसाव होता है।

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नवीनतम भूस्खलन के कारणों का पता लगाने के लिए गठित समिति में प्रोफेसर जीएच जिलानी (कश्मीर विश्वविद्यालय, पृथ्वी विज्ञान के प्रोफेसर), गुलाम हसन (संयुक्त आयुक्त – पीएलजी एसएमसी), शब्बीर अहमद (कार्यकारी अभियंता कोर डिवीजन, आर एंड बी, श्रीनगर), डॉ शकील वसीम (सहायक प्रोफेसर, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग एनआईटी, श्रीनगर), सैयद शाहिद हुसैन (तहसीलदार, खानयार श्रीनगर), इम्तियाज अहमद मीर (एसडीपीओ खानयार, श्रीनगर), मीर जहांगीर (कार्यकारी अभियंता, भवन और डिजाइन- II, गुणवत्ता और नियंत्रण आर एंड बी विभाग, श्रीनगर), जहूर अहमद (कार्यकारी अभियंता, स्मार्ट सिटी, श्रीनगर), फैयाज अहमद भट (भूविज्ञानी-111, भूविज्ञान और खनन विभाग श्रीनगर)।

Rajesh kumar

राजेश कुमार एक वर्ष से अधिक समय से पत्रकारिता कर रहे हैं। फिलहाल इंडिया न्यूज में नेशनल डेस्क पर बतौर कंटेंट राइटर की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले एएनबी, विलेज कनेक्शन में काम कर चुके हैं। इनसे आप rajeshsingh11899@gmail.com के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

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