India News (इंडिया न्यूज), European Union: यूरोपीय संघ के संसदीय चुनावों में लाखों लोगों ने रविवार (10 जून) को मतदान किया। यह लोकतंत्र का एक बड़ा प्रयोग है, जिससे उम्मीद है कि यह ब्लॉक दक्षिणपंथी हो जाएगा और इसका भविष्य बदल जाएगा। यूक्रेन में युद्ध, प्रवास और किसानों पर जलवायु नीति का प्रभाव कुछ ऐसे मुद्दे हैं। जो वोटर्स के दिमाग में हैं, क्योंकि वे यूरोपीय संसद के 720 सदस्यों को चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं। वहीं सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मुख्यधारा और यूरोप समर्थक दल संसद में अपना बहुमत बनाए रखेंगे। लेकिन वे इतालवी प्रीमियर जियोर्जिया मेलोनी, हंगरी के नेता विक्टर ओर्बन, नीदरलैंड में गीर्ट वाइल्डर्स और फ्रांस में मरीन ले पेन जैसे कट्टर दक्षिणपंथी दलों के सामने अपनी सीटें खो देंगे।
यूरोपीय संसद के वोटिंग जारी
बता दें कि ऐसी स्थिति में यूरोप के लिए कानून पारित करना कठिन हो जाएगा और कई बार दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक ब्लॉक में निर्णय लेने की प्रक्रिया भी बाधित हो सकती है। बर्लिन में मतदाता लॉरा साइमन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हम दक्षिणपंथी होने से बचेंगे और यूरोप किसी तरह एकजुट रहेगा। दरअसल यूरोपीय संघ के सांसदों की वित्तीय नियमों से लेकर जलवायु और कृषि नीति तक के मुद्दों पर राय होती है। वे यूरोपीय संघ के बजट को मंजूरी देते हैं, जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, कृषि सब्सिडी और यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता सहित प्राथमिकताओं को वित्तपोषित करता है। साथ ही वे शक्तिशाली यूरोपीय संघ आयोग की नियुक्ति पर वीटो रखते हैं।
कई मायनों में अहम यह चुनाव
बता दें कि, यह चुनाव लगभग 450 मिलियन लोगों के एक समूह में मतदाता विश्वास के लिए एक परीक्षण समय पर आ रहा है। पिछले पाँच वर्षों में यूरोपीय संघ कोरोनावायरस महामारी, आर्थिक मंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़े भूमि संघर्ष से उत्पन्न ऊर्जा संकट से हिल गया है। लेकिन राजनीतिक अभियान अक्सर व्यापक यूरोपीय हितों के बजाय व्यक्तिगत देशों में चिंता के मुद्दों पर केंद्रित होते हैं। वहीं रविवार का मतदान मैराथन चार दिवसीय चुनाव चक्र को समाप्त करता है, जो गुरुवार को नीदरलैंड में शुरू हुआ था।