India News (इंडिया न्यूज), Rahul Gandhi Lunch With Dalit Family: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में अपने हालिया दौरे के दौरान एक दलित रसोई का दौरा किया है। दलितों के व्यंजनों की खोज उनकी जिज्ञासा के कारण हुई कि, वे क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं और इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व क्या है।” शनिवार को कोल्हापुर के उंचाओन गांव में दलित किसान अजय तुकाराम सनाडे के घर के दौरे के दौरान, उन्होंने न केवल परिवार के साथ एक हार्दिक और मसालेदार भोजन का आनंद लिया, बल्कि इसे तैयार करने में भी मदद की। विपक्ष के नेता के साथ ‘मराठवाड़ा के दलित रसोई’ पुस्तक के लेखक शाहू पटोले भी थे।
इस वजह से पहुंचे दलित रसोई
पटोले ने कहा, “कोई नहीं जानता कि हम (दलित) क्या खाते हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि, आपने एक दिलचस्प बात कही कि कोई नहीं जानता कि आप क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं। यही कारण है कि मैं आज यहां आया हूं। 54 वर्षीय गांधी रसोई में जाते हैं और लेखक से कहते हैं, “मैं बहुत मसालेदार खाना नहीं खाता।” फिर बातचीत दलितों के साथ होने वाले भेदभाव पर आ जाती है। पटोले ने कहा, “मेरे गांव में, वे (उच्च जाति के गांव वाले) मेरे घर पर पानी या एक कप चाय भी नहीं पीते। वे अब मेरे पद का सम्मान करते हैं, लेकिन मेरी जाति का नहीं। लोग अपनी जाति और उपनाम (भेदभाव के कारण) छिपाते हैं।”
राहुल गांधी ने पकाई ये डिश
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और लेखक शाहू पटोले ने दोपहर के भोजन के लिए ‘हरभरयांची भाजी, चने की सब्जी , बैंगन के साथ तुवर दाल और हरे प्याज से बनी डिश पकाई। उन्होंने सब्जियों और दाल को महाराष्ट्रीयन शैली की ज्वार भाकरी (ज्वार के आटे से बनी रोटी) के साथ परोसा। सनाडे परिवार ने कहा कि वे “उनके अचानक आगमन के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे। उन्होंने बताया कि, “पहले, हमने उन्हें पानी और चाय दी, और बाद में उन्होंने कहा कि उन्हें भूख लग रही है और उन्होंने हमारी रसोई में हम सभी के लिए कुछ बनाने की पेशकश की।” कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट भी किया है।
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