इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
LIC IPO Postponed Due To Russia-Ukraine War : देश के सबसे बड़े लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन आफ इंडिया (एलआईसी) के इनीशियल पब्लिक आफरिंग (आईपीओ) में देरी हो सकती है। बताया जा रहा है कि पहले इसके मार्च में आने की उम्मीद थी। लेकिन अब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बदले हालात को देखते हुए मार्च में आने की उम्मीदें कम दिख रही है।
सूत्रों अनुसार एलआईसी का आईपीओ अप्रैल-मई में आ सकता है। सरकार ने सेबी को जो ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) फाइल किया है, उसकी कंडीशन में 12 मई तक मंजूरी जारी है। मतलब 12 मई तक आईपीओ लाया जा सकता है।
अगर सरकार 12 मई तक आईपीओ नहीं ला पाती है, तो उसे दिसंबर तिमाही के नतीजे बताते हुए सेबी के पास नए कागजात दाखिल करने होंगे। एक अधिकारी का कहना है कि हालांकि पिछले 15 दिनों में बाजार में उतार-चढ़ाव कम हुआ है, लेकिन बाजार के और स्थिर होने का इंतजार किया जाएगा, ताकि रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर में निवेश करने का भरोसा मिले।
सूत्रों मुताबिक अगर 12 मई के बाद आईपीओ लाने की स्थिति बनती है तो, एम्बेडेड वैल्यू और नतीजों में बदलाव करना होगा। वहीं पूरी कोशिश रहेगी मार्च में अगर आईपीओ नहीं आता है, तो अप्रैल के आखिरी हफ्ते या मई के पहले हफ्ते में लाया जाए। सरकार और एलआईसी की तरफ से इसकी तैयारियां भी पूरी की जा चुकी हैं। लेकिन बाजार में जिस तरह का उतार-चढ़ाव है, उसको लेकर सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी ने 13 फरवरी, 2022 को मार्केट रेगुलेटर सेबी को आईपीओ का मसौदा जमा किया था। इसके मुताबिक, लगभग 31.6 करोड़ या 5 फीसदी शेयर कंपनी बेचेगी। डीआरएचपी मुताबिक, एलआईसी पॉलिसी होल्डर्स के लिए आईपीओ में 10 फीसदी शेयर रिजर्व रहेंगे। हो सकता है उनको शेयर के भाव में 5 फीसदी का डिस्काउंट भी मिल जाए। रिजर्वेशन का फायदा लेने के लिए पॉलिसी होल्डर्स का पैन कार्ड अपडेट होना जरूरी है।
एलआईसी का इश्यू भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। लिस्ट होने के बाद एलआईसी का मार्केट वैल्युएशन आरआईएल और टीसीएस जैसी टॉप कंपनियों के बराबर होगा। इसके पहले पेटीएम का इश्यू सबसे बड़ा था और कंपनी ने पिछले साल आईपीओ से 18,300 करोड़ रुपये जुटाए थे।
सरकार जब भी मुश्किल में फंसती है तो एलआईसी का इस्तेमाल किसी साहूकार की तिजोरी की तरह होता है। 2015 में ओएनजीसी के आईपीओ के समय एलआईसी ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए लगाए थे। 2019 में कर्ज से जूझ रहे आईडीबीआई बैंक को उबारने की बात आई तो एलआईसी ने एक बार फिर अपनी झोली खोल दी।
2019 में जारी भारतीय रिजर्व बैंक के डेटा अनुसार, शुरूआत से लेकर अब तक एलआईसी ने सरकारी क्षेत्र में 22.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें से 10.7 लाख करोड़ रुपए तो 2014-15 से 2018-19 के बीच ही लगाए गए हैं। इस समय ये 100 फीसदी सरकारी कंपनी है, लेकिन जनवरी से मार्च 2022 के बीच सरकार कंपनी की 10 फीसदी हिस्सेदारी शेयर बाजार में बेचने जा रही है। सरकार को एलआईसी के आईपीओ से 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम जुटाने की उम्मीद है।
हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने इस आईपीओ में विदेशी निवेशकों को शामिल करने के एफडीआई पॉलिसी में बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत एलआईसी के आईपीओ में 20 फीसदी तक आॅटोमैटिक रूट से विदेशी निवेश की मंजूरी दी गई है। LIC IPO Postponed Due To Russia-Ukraine War
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