इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Life Support System: बीते कल 6 फरवरी को स्वरों की देवी लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया। वे काफी दिनों से मुंबई के ब्रीच कैंड अस्पताल में कोरोना और निमोनिया की बीमारी के चलते भर्ती थीं। लेकिन बीच में उनकी तबियत में थोड़ा सुधार आना शुरू हो गया था।
अचानक बीते शनिवार 5 फरवरी को उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी जिसके बाद लता दीदी को (Lata Mangeshkar Life Support, Ventilator) लाइफ सपोर्ट सिस्टम (यानि आम भाषा में कहें तो वेंटिलेटर में) शिफ्ट किया गया था। लेकिन शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था, और बीते कल रविवार सुबह स्वर कोकिला इस दुनिया को अलविदा कह गर्इं। तो चलिए जानते हैं क्या है लाइफ सपोर्ट सिस्टम यानि वेंटिलेटर? इस सपोर्ट की जरूरत मनुष्य को कब पड़ती है?।
क्या है लाइफ सपोर्ट सिस्टम? (What is life support system)
- कहते हैं कि शरीर एक जटिल मशीन की तरह होता है। शरीर के कई अंग और सिस्टम लगातार काम करते हुए इसे स्वस्थ रखते हैं। इनमें से कुछ अंगों के फंक्शन इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि अगर वे काम करना बंद कर दें तो इंसान जिंदा नहीं रह सकता है।
- जब शरीर के ये महत्वपूर्ण सिस्टम फेल हो जाते हैं तो एक विशेष मेडिकल प्रक्रिया से उन अंगों को जिंदा रखने की कोशिश की जाती है, जिसे आमतौर पर लाइफ सपोर्ट सिस्टम या (Ventilator System) वेंटिलेटर कहते हैं। लाइफ सपोर्ट के जरिए कोशिश की जाती है कि शरीर फिर से ठीक से काम करने लगे, कई बार ऐसा हो भी जाता है, लेकिन कई बार शरीर का सिस्टम दोबारा काम नहीं कर पाता और इंसान की मौत हो जाती है।
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कितने प्रकार का होता है लाइफ सपोर्ट सिस्टम?
- अधिकतर लोग जब किसी इंसान के लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर होने की बात करते हैं, तो वे आमतौर पर वेंटिलेटर के बारे में बात करते हैं। दरअसल, लाइफ सपोर्ट सिस्टम एक व्यापक सिस्टम होता है और वेंटिलेटर उसका एक हिस्सा है। लाइफ सपोर्ट सिस्टम में कई चीजें शामिल होती हैं। ( What are the types of life support system)
- मैकेनिकल वेंटिलेटर या वेंटिलेटर: इसे ब्रीदिंग मशीन के नाम से भी जाना जाता है। ये लाइफ सपोर्ट सिस्टम में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मशीन है। एक ऐसी मशीन है जो किसी को सांस लेने में मदद करती है।
- वेंटिलेटर फेफड़ों में हवा को पुश करके पूरे शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बनाए रखता है। इसका उपयोग अस्थायी रूप से निमोनिया जैसी स्थितियों के लिए किया जाता है, लेकिन फेफड़ों के फेल होने की स्थिति में मरीजों को इसकी जरूरत ज्यादा समय तक पड़ती है। कोरोना महामारी शुरू होने के बाद सांस की ज्यादा दिक्कत वाले मरीजों में वेंटिलेटर का इस्तेमाल काफी बढ़ा है।
- कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (सीपीआर): सीपीआर का यूज उन मरीजों के इलाज में किया जाता है, जिनका हार्ट या सांस रुक जाती है। सीपीआर का यूज दिल या सांस को दोबारा शुरू करने की कोशिश के तहत किया जाता है। हार्ट को फिर से एक्टिव करने के लिए आमतौर पर इलेक्ट्रिक शॉक या दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
- हार्ट अटैक या डूबने जैसी अचानक हुई घटना में तुरंत इलाज के लिए सीपीआर का यूज जीवन बचाने वाला साबित हो सकता है, लेकिन किसी लाइलाज बीमारी के लास्ट स्टेज से गुजर रहे या गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों में सीपीआर के प्रयोग के बावजूद उनके बचने की संभावना बहुत कम होती है।
- अगर मरीज या उसके परिजन नहीं चाहते कि सीपीआर दिया जाए तो इसके लिए उन्हें डॉक्टर को लिखित में निर्देश देना होता है, जिसे डॉक्टर मरीज के मेडिकल रिकॉर्ड में डू-नॉट-रिससिटैट (डीएनआर) आॅर्डर के तौर पर दर्ज करता है।
- आर्टिफिशियल न्यूट्रिशन और हाइड्रेशन: इसका यूज उन मरीजों के लिए किया जाता है, जो खाना-पानी नहीं ले सकते हैं। इसमें ट्यूब फीडिंग को सीधे पेट, ऊपरी आंत, या नस में डाला जाता है और उस ट्यूब के जरिए ही पोषक तत्वों और लिक्विड या तरल पदार्थ का बैलेंस्ड मिश्रण दिया जाता है।
- आर्टिफिशियल न्यूट्रिशन और हाइड्रेशन कई बार जीवन बचा लेते हैं। आर्टिफिशियल न्यूट्रिशन और हाइड्रेशन लंबे समय तक उन मरीजों को दिया जाता है, जो आंतों की गंभीर बीमारी की वजह से खाने को पचा नहीं पाते हैं।
- ट्यूब फीडिंग या नली के जरिए खाना अक्सर बहुत गंभीर मरीजों को दिया जाता है। ट्यूब फीडिंग कब हटाया जाए, इसका फैसला मरीज के परिजन और डॉक्टर मरीज की स्थिति के अनुसार मिलकर कर सकते हैं।
- किडनी डायलिसिस: यह लाइफ सपोर्ट सिस्टम के सबसे कम इमरजेंसी वाले उपायों में शामिल हैं। डायलिलिस का यूज टॉक्सिन या जहरीले पदार्थों को फिल्टर करके शरीर से बाहर निकालने के लिए किया जाता है।
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इंसान को कब होती है लाइफ सपोर्ट की जरूरत? ( When does a person need life support)
- मनुष्य के शरीर में चार अंगों-दिल, दिमाग, फेफड़े और किडनी में से कोई भी काम करना बंद कर दे, तो लाइफ सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। इन चार अंगों के काम करना बंद कर देने पर इंसान को लाइफ सपोर्ट पर रखा जाता है। डॉक्टर, नर्स और अन्य हेल्थ केयर प्रोफेशनल, प्रमुख अंगों के काम करना बंद करने पर तुरंत लाइफ सपोर्ट देना शुरू कर देते हैं। इसमें दो प्रमुख मुद्दे हैं-लाइफ सपोर्ट शुरू करना और लाइफ सपोर्ट बंद करना।
- इन दोनों ही स्थितियों के लिए डॉक्टर को मरीज या उसके परिजन की अनुमति की जरूरत होती है। मरीज या उसके परिजन लाइफ सपोर्ट सिस्टम लेने से इनकार कर सकते हैं, यानी इसे लेना उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। हालांकि एक बार इलाज शुरू होने के बाद इसे बीच में बंद नहीं किया जा सकता।
कब रोका जाता है लाइफ सपोर्ट?
आमतौर पर जब मरीज की रिकवरी की संभावना बिल्कुल नहीं बचती और डॉक्टर को लगता है कि अंग अब खुद से काम करने में सक्षम नहीं हैं तो वे लाइफ सपोर्ट को बंद करने की सलाह देते हैं। रिकवरी की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाने के बाद भी लाइफ सपोर्ट को जारी रखने से मौत की प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है और ये प्रक्रिया बहुत खचीर्ली भी है।
Life Support System
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