India News(इंडिया न्यूज), Lok Sabha Election 2024: भारत में आम चुनावों के दौरान विदेशी हस्तक्षेप का दावा करने वाली संस्था डिसइन्फो लैब ने एक बार फिर चुनावों में हस्तक्षेप को लेकर बड़ा दावा किया है। दावा किया गया है कि बड़ी शक्तियों ने भारत में लोकसभा चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए छोटी शक्तियों को मदद मुहैया कराई। यह एक ऐसा जाल है जिसे न केवल विदेशों में बल्कि भारत में भी बुना गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक उभरती हुई आर्थिक और सामरिक शक्ति है। भारत की विदेश नीतियां वैश्विक गतिशीलता को एक नया आकार देती हैं। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्धों के बीच भारत ने एक अतुलनीय विदेश नीति का प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके कारण वैश्विक मीडिया ने भारत में आम चुनावों पर नज़र रखी।
डिसइन्फो लैब का दावा है कि जब आम चुनावों के दौरान करोड़ों भारतीय अपना भविष्य तय कर रहे थे। इस दौरान वैश्विक मीडिया का एक वर्ग मतदाताओं के फैसलों को प्रभावित करने के लिए एक भयानक साजिश रच रहा था। दावा किया गया है कि इस योजना को लागू करने के लिए व्यवस्थित तरीके से वित्तपोषण यानी पैसे का भी इंतजाम किया गया था। इसमें न केवल विदेशी बल्कि भारतीय मीडिया भी शामिल था। भारत में आम चुनावों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करने की कोशिश की गई।
रिपोर्ट में डिसइन्फो लैब ने दावा किया है कि कुछ मीडिया संस्थानों के लेखों में एक अलग तरह का पैटर्न देखने को मिला, जिसके चलते यह रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में इस बात पर आश्चर्य जताया गया है कि इस दौरान एक खास तरह की कहानी गढ़कर मतदाताओं का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। डिसइन्फो लैब का दावा है कि फ्रांसीसी अखबार ‘ले मोंडे’ इस तरह की गतिविधियों में शामिल था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि फ्रांसीसी राजनीतिक विशेषज्ञ क्रिस्टोफ जोफ्रेलेट इन गतिविधियों का केंद्र बिंदु थे। जोफ्रेलेट के बयानों को भारत में आम चुनावों को प्रभावित करने का आधार बनाया गया। डिसइन्फो लैब ने दावा किया है कि इस खेल में जोफ्रेलेट अकेले खिलाड़ी नहीं थे।
डिसइन्फो लैब ने अपनी रिपोर्ट में हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) और जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) का भी जिक्र किया है। बताया गया है कि एचएलएफ और ओएसएफ ने भारत में आम चुनावों को प्रभावित करने के लिए फंडिंग की थी। रिपोर्ट में जिन समूहों और व्यक्तियों के नाम उजागर किए गए हैं, वे फ्रांस और अमेरिका से संचालित किए गए हैं। रिपोर्ट में कुछ और बड़े आरोप लगाए गए हैं।
डिसइन्फो लैब का दावा है कि फ्रांस के कई मीडिया संस्थानों ने भारत में होने वाले आम चुनावों में दखल देने के लिए कई तरह के लेख प्रसारित किए। इनमें ले मोंडे के अलावा वाई ले सोइर, ला क्रॉइक्स (इंटरनेशनल), ले टेम्प्स, रिपोर्टर और रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल (आरएफआई) जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इन सभी को भारतीय चुनावों में आम जनता की राय को अलग रूप देने के लिए निर्देशित किया गया था। दावा किया गया है कि इन सभी मीडिया संस्थानों का नेतृत्व ले मोंडे ने किया था।
Kane Williamson: केन विलियमसन ने छोड़ी न्यूजीलैंड की कप्तानी, किया एक और बड़ा ऐलान-Indianews
डिसइन्फो लैब का दावा है कि ले मोंडे ने आम चुनावों के मद्देनजर ‘भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया (इस्लाम के नाम पर डराने की कोशिश)’ और ‘मुसलमानों को बदनाम करने’ जैसे विषयों पर कई लेख प्रकाशित किए। क्रिस्टोफ जोफ्रेलेट के लेख न केवल फ्रांस में बल्कि भारत के कई मीडिया संस्थानों में भी प्रकाशित हुए। डिसइन्फो लैब ने क्रिस्टोफर जोफ्रेलेट पर अपनी रिपोर्ट का नाम द कॉमन सोर्स रखा है।
डिसइन्फो लैब की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके बदले में क्रिस्टोफ जोफ्रेलेट को अमेरिका के हेनरी लुईस फाउंडेशन (HLF) की ओर से मोटी रकम दी गई। डिसइन्फो लैब के मुताबिक, ‘जोफ्रेलेट को ‘मुस्लिम इन ए टाइम ऑफ हिंदू मेजॉरिटेरियनिज्म’ नामक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए 3.85 लाख डॉलर की रकम दी गई।
डिसइन्फो ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि ‘क्रिस्टोफ और उनके सहयोगी गिल्स वर्नियर्स ने अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (TCPD) के जरिए जबरन एक स्टोरी को प्रमोट किया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भारतीय राजनीति में निचली जातियों का प्रतिनिधित्व कम है।’
डिसइन्फो लैब ने दावा किया है कि HLF ने साल 2020 से साल 2024 तक भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए कुछ अन्य संगठनों को फंड मुहैया कराया। डिसइन्फो ने अपनी रिपोर्ट में बर्कले सेंटर फॉर रिलीजन, पीस एंड वर्ल्ड अफेयर्स का नाम भी उजागर किया है।
रिपोर्ट का दावा है कि 3.46 डॉलर की वित्तीय सहायता दी गई। इसके बाद बर्कले इंस्टीट्यूट ने हिंदू अधिकारों और भारत की धार्मिक कूटनीति पर एक रिपोर्ट तैयार की।
डिसइन्फो रिपोर्ट का दावा है कि एचएलएफ ने सीईआईपी यानी कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस को सत्तावादी दमन, हिंदू राष्ट्रवाद और बढ़ते हिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 1.20 लाख डॉलर दिए।
डिसइन्फो के मुताबिक, सीईआईपी को फिर एक और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 40 हजार डॉलर की राशि दी गई। आरोप है कि यह राशि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ‘सत्ता में भाजपा: भारतीय लोकतंत्र और धार्मिक राष्ट्रवाद’ पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए दी गई।
डिसइन्फो रिपोर्ट का दावा है कि एचएलएफ ने एशिया में हिंसा पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) को 300,000 डॉलर दिए।
डिसइन्फो ने यह भी आरोप लगाया है कि एचएलएफ ने हिंदू राष्ट्रवाद पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए ऑड्रे ट्रुश्के के संगठन साउथ एशिया एक्टिविस्ट कलेक्टिव (एसएएसएसी) को भी पैसा दिया था।
Sikandar Khan Lodi Death Anniversary: सिकंदर लोदी ने सरकारी संस्थाओं के रूप में मस्जिदों को…
India News MP (इंडिया न्यूज़), Bhopal: कश्मीर में हो रही बर्फबारी से MP में ठिठुरन…
India News Bihar (इंडिया न्यूज)Raebareli Crime News: बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब का…
India News(इंडिया न्यूज), MP News: गबन के आरोप में मध्य प्रदेश के सागर सेंट्रल जेल…
India News(इंडिया न्यूज), Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट में अभी कुछ दिनों पहले मुस्लिम कट्टर पंथी…
Bones Stolen From Cemetery: बूंदी में एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के बाद जब चिता…