India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election 2024 Result: 4 जून को भारत के सबसे बड़े त्योहार लोकसभा चुनाव का समापन हुआ जिसमें NDA ने अपना बहुमत दर्ज किया। हलांकि इस चुनाव एग्जिट पोल में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला। जिसमें कांग्रेस ने अपना दम दिखाया और इंडि गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया।
वहीं बात दक्षिण भारत की करें तो चार राज्यों में कांग्रेस की पहले से ही मजबूत उपस्थिति है। दो राज्यों में उसकी अपनी सरकार है और एक राज्य में सहयोगी के साथ गठबंधन की सरकार है। ऐसे में दक्षिणी राज्यों में कांग्रेस के लिए भाजपा से ज्यादा संभावना पहले से ही थी। नतीजे भी उम्मीद के मुताबिक ही आए।
कांग्रेस ने दक्षिण में 13 सीटें बढ़ाईं
कांग्रेस ने पांच दक्षिणी राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 13 सीटें बढ़ाई हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने इन राज्यों में सिर्फ 29 सीटें जीती थीं, जो भाजपा के बराबर थी। इस बार कांग्रेस दक्षिणी राज्यों से ही 42 सीटें हासिल करने में कामयाब रही है। हालांकि कर्नाटक में सरकार होने के बावजूद वह सीटों के मामले में भाजपा से पीछे रह गई है, लेकिन तेलंगाना में सरकार होने का उसे फायदा मिला है। पिछली बार कांग्रेस को राज्य में सिर्फ तीन सीटें मिली थीं, जो इस बार बढ़कर आठ हो गईं।
तेलंगाना में कांग्रेस का दम
कांग्रेस पिछले कुछ समय से चर्चा में है। तेलंगाना में दस साल तक सत्ता पर काबिज कांग्रेस ने कांग्रेस में मजबूत पकड़ रखने वाली भारत राष्ट्र समिति को हरा दिया है। उसे हटाकर पार्टी ने अपने लिए मजबूत जगह बना ली है। माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस को लंबे समय में फायदा मिल सकता है। संसदीय चुनावों के लिहाज से दक्षिण में केरल कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। कर्नाटक में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है।
केरल में कांग्रेस ने बरकरार रखा कब्जा
पिछले चुनाव में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड से चुनाव लड़कर कांग्रेस की जड़ें जमाई थीं। इस राज्य में कांग्रेस ने 20 में से 15 सीटें जीती थीं। इस बार भी कांग्रेस ने 14 सीटों के साथ अपना कब्जा बरकरार रखा है।
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कर्नाटक में जबरदस्त प्रदर्शन
कर्नाटक में कांग्रेस को बड़ी सफलता मिली है। 2019 के चुनाव में उसे कर्नाटक में सिर्फ एक सीट मिली थी। इस बार यह संख्या बढ़कर नौ हो गई है। इनमें से ज्यादातर सीटें कांग्रेस ने बीजेपी से छीनी हैं। आंध्र प्रदेश में राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे, लेकिन 2009 में उनके निधन और पार्टी में फूट के बाद कांग्रेस इस राज्य में लगातार कमजोर होती गई। पार्टी संघर्ष कर रही है।
स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि उसे एक फीसदी वोट पाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस बार कांग्रेस ने राजशेखर रेड्डी की बेटी और वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी को राज्य की कमान देकर राज्य में वापसी की पूरी कोशिश की, लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा। आज भी वह हाशिये पर खड़ी है।