India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लोकर जहां देश की सियासत में गर्माहट है वहीं गुजरात के सूरत में कांग्रेस की मुश्किलें बढ गई है जहां कांग्रेस नेता नीलेश कुंभानी जो कि लोकसभा उम्मीदवार के रूप में नामांकन कथित विसंगतियों के कारण खारिज कर दिया गया था वो लापता चल रहे हैं और उनका फोन भी बंद आ रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि, इस सीट पर सभी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के चुनाव से हटने के बाद भाजपा के गढ़ से मुकेश दलाल को विजेता घोषित किया गया था।
- सुरत से बीजेपी की निर्विरोध जीत
- कांग्रेस नेता नीलेश कुंभानी लापता
- नामांकन दाखिल करने के बाद चुनाव आयोग ने किया अयोग्य घोषित
सुरत में बीजेपी की निर्विरोध जीत
मिली जानकारी के अनुसार, सूरत में भाजपा की पहली लोकसभा में निर्विरोध जीत के बाद नाटकीय घटनाक्रम सामने आया। गुजरात भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल ने कल कहा कि सूरत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ”पहला कमल” सौंपा है। इसके साथ ही उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ”मैं सूरत लोकसभा सीट से हमारे उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध चुने जाने पर बधाई देता हूं।
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कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया आरोप
वहीं इस मामले में कांग्रेस ने गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा पर “गलत और अनुचित प्रभाव” डालने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से संपर्क किया है और चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू करने की मांग की है। इसके साथ ही पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कल चुनाव आयुक्तों से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ”इसलिए हमने चुनाव आयोग से सूरत में चुनाव स्थगित करने और एक स्पष्ट संदेश देने के लिए दोबारा चुनाव कराने का अनुरोध किया है कि आप इस तरह के गलत अनुचित प्रभाव का फायदा नहीं उठा सकते।
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सिंघवी का दावा
इस मामले में सिंघवी ने दावा किया कि सूरत में, कांग्रेस उम्मीदवार कुंभानी को चार प्रस्तावकों द्वारा नामित किया गया था, “लेकिन, अचानक सभी चार खड़े हो गए और अपने हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “यह कोई संयोग नहीं है। उम्मीदवार कई घंटों से लापता है और जब वह दोबारा सामने आता है तो हमें पता चलता है कि हर दूसरे उम्मीदवार ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। रिटर्निंग अधिकारी ने उसकी उम्मीदवारी खारिज कर दी है।
सुरत में मतदान की खास बातें
1. 18 अप्रैल को कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी ने सूरत लोकसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया
2. 19 अप्रैल को भाजपा कार्यकर्ता दिनेश जोधानी ने श्री कुंभानी के नामांकन पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि उनके प्रस्तावकों के हस्ताक्षर फर्जी हैं।
3. 20 अप्रैल को मतदान अधिकारियों का कहना है कि उन्हें प्रस्तावकों से हलफनामा मिला है जिसमें दावा किया गया है कि श्री कुंभानी के नामांकन पर हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ने श्री कुंभानी से एक दिन के भीतर जवाब मांगा।
4. 21 अप्रैल को जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) ने कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर दिया क्योंकि वह और उनके प्रस्तावक उनके नामांकन फॉर्म का समर्थन करने नहीं आए। कांग्रेस के दो करीबी रिश्तेदारों सहित प्रस्तावकों से फोन पर संपर्क नहीं हो सका।
5. 22 अप्रैल को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन बसपा और निर्दलीय समेत सात उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। जिसके बाद बीजेपी के मुकेश दलाल को विजेता घोषित किया गया।