India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले और आखिरी चरण के मतदान तक राम मंदिर को लेकर काफी चर्चा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के सभी बड़े नेता राम मंदिर की बात कर रहे थे। बीजेपी को उम्मीद थी कि राम मंदिर के उद्घाटन से उसे यूपी ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में बढ़त मिलेगी। मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजों से ठीक पहले 400 के पार जाने की बात कही जा रही थी, लेकिन नतीजों के दिन यानी मंगलवार को एनडीए और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होती दिख रही है।
बीजेपी अकेले बहुमत से दूर
रुझानों में भले ही एनडीए को बहुमत मिल रहा हो, लेकिन बीजेपी अकेले बहुमत से दूर जाती दिख रही है। बीजेपी के अकेले बहुमत से दूर दिखने के पीछे एक बड़ी वजह सबसे बड़े राज्य यूपी में उसका प्रदर्शन है। यहां बीजेपी ने सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और उसे उम्मीद थी कि इस बार राम मंदिर के सहारे वो ऐसा करने में कामयाब हो जाएगी। लेकिन जैसे-जैसे वोटों की गिनती आगे बढ़ रही है, ऐसा लग रहा है कि ऐसा नहीं हो पाएगा।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में विपक्षी नेताओं की अनुपस्थिति
22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन सबसे बड़ा मुद्दा उस कार्यक्रम में विपक्षी नेताओं की अनुपस्थिति रही। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विपक्ष के बड़े नेताओं ने जब इस कार्यक्रम से दूरी बनाई तो बीजेपी ने उन पर जमकर हमला बोला।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक चुनावी रैली के दौरान चुनावी मंच से नरेंद्र मोदी ने सपा, कांग्रेस और भारत गठबंधन पर जमकर निशाना साधा था। मंच से अपने संबोधन में मोदी ने कहा था कि अगर सपा-कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे। अगर सपा-कांग्रेस सत्ता में आती है तो वह रामलला को वापस टेंट में भेज देंगे और राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देंगे। वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में जहां भी प्रचार करने गए, उन्होंने कहा कि जनता राम को लाने वालों को वापस लाएगी। फिलहाल जो नतीजे सामने आ रहे हैं, उससे बीजेपी के लिए वैसे नहीं लग रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश में एक अलग ही माहौल देखने को मिला। सिर्फ अयोध्या, यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में जश्न का माहौल था। दिन इसलिए भी बड़ा था क्योंकि राम मंदिर का सपना साकार हो रहा था। उस दिन जो लहर दिखी उसके बाद बीजेपी ने यूपी समेत पूरे देश में एक बड़ी लहर पैदा करने की कोशिश की।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दो महीने तक बीजेपी की राज्य सरकारों के कैबिनेट मंत्रियों के साथ कई वीआईपी के अयोध्या आने का सिलसिला जारी रहा। पूरी कवायद यही थी कि प्रदेश में चुनाव होने तक राम मंदिर का मुद्दा एक दिन के लिए भी ठंडा न पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी दिनों तक प्रदेश में डेरा डाले रखा।
उन्होंने अयोध्या में रोड शो भी किया लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है। राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए काफी समय से था। जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो ये सवाल और भी तेजी से पूछा जाने लगा कि मंदिर कब बनेगा। मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे… इसके जरिए बीजेपी पर तंज कसा जा रहा था. जब वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी, तब बीजेपी ये वादा पूरा नहीं कर पाई थी. तब कहा गया था कि पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं है. वहीं, जब 2014 में नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने, तब उम्मीद बढ़ी कि सपना जल्द पूरा होगा. हालांकि इसमें भी देरी हुई, लेकिन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. कोरोना काल में निर्माण कार्य शुरू हुआ और रिकॉर्ड समय में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया. 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ. अब जब आज नतीजे आ रहे हैं, तो ऐसा लग रहा है कि बीजेपी को जो उम्मीद थी कि राम मंदिर के जरिए हिंदू वोट उसके पक्ष में एकजुट होगा, वो नहीं हुई.