India News(इंडिया न्यूज), Maa Lakshmi: हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है और जिस घर में उनका वास होता है वहां कभी भी धन से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती है। देवी लक्ष्मी की कृपा से धन के भंडार भरे रहते हैं इसलिए लोग देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। जिससे मां लक्ष्मी उनके घर में वास करें और अपनी कृपा बरसाएं। लेकिन अपने चंचल स्वभाव के कारण देवी लक्ष्मी कभी भी एक स्थान पर नहीं टिकतीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जहां सभी देवी-देवता एक ही स्थान पर निवास करते हैं तो देवी लक्ष्मी एक स्थान पर क्यों नहीं ठहरती हैं, तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी ये कथा।
मां लक्ष्मी का कैसा है स्वभाव ?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, धन की देवी देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं। भगवान विष्णु स्वभाव से शान्त, धीर, गम्भीर, नित्य और धैर्यवान हैं। जबकि मां लक्ष्मी स्वभाव से बहुत चंचल और अस्थायी हैं। अपने इसी स्वभाव के कारण वह कभी भी एक स्थान पर नहीं टिकती। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का स्वभाव एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है लेकिन दोनों का उद्देश्य एक ही है।
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क्या है पौराणिक क्था?
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा कि माता लक्ष्मी इतनी चंचल क्यों हैं? तब ब्रह्मा जी ने नारद मुनि के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यदि किसी के घर में देवी लक्ष्मी स्थाई हो जाएंगी तो वह व्यक्ति अहंकार में चूर होकर पृथ्वी पर दुष्कर्म करने लगेगा। इसलिए, देवी लक्ष्मी को एक चंचल मन दिया गया है ताकि वह अपने भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल दे सकें और यह तय कर सकें कि उन्हें अपने स्थान पर निवास करना है या नहीं। ब्रह्मा जी ने कहा कि लक्ष्मी जी किसी के वश में नहीं रह सकतीं। वह केवल भगवान विष्णु के अधीन हैं और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करना आवश्यक है।