India News (इंडिया न्यूज), Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के द्वारा एक पुरुष के खिलाफ एक महिला की शिकायत पर दर्ज बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि दोनों अपनी स्वेच्छा से 10 साल से अधिक समय तक रिश्ते में थे। 2 जुलाई के अपने आदेश में न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने यह भी कहा कि यह मामला कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग प्रतीत होता है। कोर्ट के आदेश अनुसार, महिला और पुरुष सुशिक्षित व्यक्ति हैं और उन्होंने अपनी स्वेच्छा से 10 साल से अधिक समय तक शारीरिक संबंध बनाए। इसमें कहा गया कि पुरुष द्वारा उससे शादी करने से इनकार करने के बाद उनका ब्रेकअप हो गया।

अदालत ने बताया बलात्कार केस को गलत

अदालत ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता (पुरुष) के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि मेरे विचार में, तथ्यात्मक परिस्थितियों के अनुसार, जैसा कि अभियोक्ता (महिला) ने अपनी शिकायत में और 164 सीआरपीसी के अपने बयान में बताया है। इस मामले को आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार का मामला नहीं माना जा सकता है। अभियोजन पक्ष कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा कुछ नहीं है।

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पुरुष को दोषी मानने से इंकार

अदालत ने इस मामले में कहा कि यहां तक ​​कि आईपीसी की धारा 366 (एक महिला को शादी के लिए मजबूर करने के लिए प्रेरित करना) भी उस व्यक्ति के खिलाफ नहीं बनती है। इसलिए बाद में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज अपराध भी रद्द करने योग्य है। दरअसल, उस व्यक्ति पर नवंबर 2021 में कटनी जिले के महिला थाने में बलात्कार और अन्य आरोपों के लिए मामला दर्ज किया गया था। उसने आखिरकार राहत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।

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