India News (इंडिया न्यूज), Maharaja Hari Singh Birth Anniversary: राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। यहां के लोगों को उम्मीद है कि इससे जम्मू-कश्मीर के फिर से राज्य बनने का रास्ता साफ होगा। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से यहां कई बड़े बदलाव हुए हैं। इन्हीं में से एक है महाराजा हरि सिंह की विरासत का जश्न मनाने का मौका।

महाराजा हरि सिंह की जयंती सार्वजनिक रूप से नहीं मनाई गई

अनुच्छेद 370 के कारण महाराजा हरि सिंह की विरासत को लंबे समय तक याद नहीं किया गया। उनकी जयंती सार्वजनिक रूप से नहीं मनाई गई। अब स्थिति बदल गई है। इस साल चुनावों के कारण महाराजा हरि सिंह की 130वीं जयंती समारोह ने जम्मू-कश्मीर में उत्साह की नई लहर पैदा की है। राज्य के डोगरा और राजपूत समुदाय के लोगों ने इस त्योहार को बहुत उत्साह के साथ मनाया। यह उनके लिए अपने गौरव को फिर से स्थापित करने का एक अवसर था। एक समय था जब पूरे राज्य में डोगरा और राजपूतों का शासन था।

महाराजा हरि सिंह ने 1947 में जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय

आपको बता दें कि 1947 में भारत की आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की सरकार थी। पाकिस्तान ने अपनी ताकत के बल पर जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की थी। उसने कबायलियों की आड़ में घाटी में अपने सैनिक भेजे थे। ऐसे समय में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। डोगरा समुदाय के नेता रमेश सिंह ने कहा कि महाराजा हरि सिंह का हमारे इतिहास में बड़ा योगदान है। उन्होंने राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाया और सामाजिक सुधारों की नींव रखी। उनका जन्मदिन मनाना सिर्फ एक परंपरा नहीं है। यह हमारे लिए अपनी परंपराओं से जुड़ने का अवसर है।

जम्मू की सड़कों पर निकाली गई रैली

महाराजा हरि सिंह की जयंती के अवसर पर जम्मू की सड़कों पर रैली निकाली गई। इसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। युवा राजपूत सभा के सदस्य विवेक सिंह ने कहा कि 2022 से पहले हम महाराजा हरि सिंह की जयंती को भव्य तरीके से नहीं मना पाते थे। इसके लिए हमने काफी संघर्ष किया है। 2019 के बाद से स्थिति काफी बदल गई है।