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Rahul Gandhi ने 6 महीने में कैसे फेल कर दी कांग्रेस की राजनीति? महाराष्ट्र हार में ‘शहजादे’ पर आया ब्लेम

India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार, दोपहर 12.49 बजे तक, भाजपा के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ महायुति 288 सदस्यीय विधानसभा में 219 सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही है। जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी सिर्फ 56 सीटें तक ही सीमित दिख रही है। इन चुनावी रुझानों से यह साफ हो गया है कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनकी टीम का वह नैरेटिव राज्य में काम नहीं आया। जिसके आधार पर इंडिया अलायंस ने छह महीने पहले लोकसभा चुनाव में 48 में से 30 सीटें जीती थीं। यानी छह महीने के अंदर ही महाराष्ट्र में राहुल गांधी के सारे दांव फेल हो गए।

राहुल क्यों हो गए फेल?

बता दें कि, राहुल गांधी अपनी सभी चुनावी सभाओं में संविधान का हवाला देते रहे हैं। वह आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ाने की बात भी करते रहे और जातीय जनगणना की वकालत भी करते दिखे। साथ ही वे यह भी तर्क देते रहे कि जितनी संख्या उतनी हिस्सेदारी, इसलिए जाति जनगणना कराकर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक की जानी चाहिए। जाहिर है कि वे दलित, आदिवासी और ओबीसी वर्ग को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं इस कार्ड की मदद से। वहीं महाराष्ट्र में दलितों की आबादी करीब 12 प्रतिशत है, जबकि ओबीसी की आबादी 38 प्रतिशत है। अगर आदिवासी समुदाय की बात करें तो अकेले यह 9 प्रतिशत है और मराठा समुदाय 28 प्रतिशत है। राहुल संविधान बचाने और 50 प्रतिशत की दीवार तोड़कर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात करके इन वर्गों को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं।

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संविधान बचाने का नारा फेल

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की चुनावी रैलियों में बार-बार कहा कि संविधान समानता, एक व्यक्ति-एक वोट की बात करता है, लेकिन संविधान में समानता की बात नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हर किसी के लिए सम्मान, हर धर्म, जाति, राज्य और भाषा के लिए सम्मान। संविधान में सावित्रीबाई फुले और महात्मा गांधी की आवाज है। लेकिन भाजपा और संघ संविधान पर हमला कर रहे हैं। उनका हमला देश की आवाज पर हमला है।

इससे पहले अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जब वह चुनावी रैलियों में संविधान की प्रति हाथ में लेकर यह कहते नजर आए थे कि भाजपा 400 सीटें जीतने के बाद संविधान बदलना चाहती है और संविधान को खत्म करना चाहती है। दलितों और पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दे पर उनकी बातों को लोगों ने गंभीरता से लिया और लोकसभा चुनाव में उनके भारत गठबंधन को पूरा समर्थन दिया, लेकिन जब महाराष्ट्र चुनाव में उन्होंने फिर वही बातें कहनी शुरू कीं तो राज्य की जनता ने उनकी बातों पर यकीन नहीं किया गंभीरता से नहीं लिया।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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