India News (इंडिया न्यूज), India-Maldives Relations: साल 2024 की शुरुआत से ही भारत और मालदीव के बीच के रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। साथ ही दोनों देशों के बीच बढ़ी दूरियां कम होते हुए नहीं दिख रही है। इस बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के हाथ एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। संसदीय चुनावों केनतीजों से पता चला है कि मुइज्जू की पार्टी ने रविवार (21 अप्रैल) को शानदार जीत हासिल की। मालदीव के चुनाव आयोग के मुताबिक मुइज्जू के नेतृत्व वाली पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने शुरुआती 86 घोषित सीटों में से 66 पर जीत हासिल की। साथ ही 93 सीटों वाली संसद में बहुमत की आकड़ा को आसानी से पार कर लिया है।
चीनी समर्थक मुइज्जू को मिली भारी बढ़त
बता दें कि, इस चुनाव को चीन के साथ करीबी आर्थिक और रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने और पारंपरिक सहयोगी भारत से अलग होने की मुइज्जू की योजना के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। खासतौर पर संसदीय को राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करना है, परंतु परिणाम यह निर्धारित करेंगे कि क्या मुइज्जू को चीन समर्थक नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक ताकत मिलती है या नहीं। चुनाव आयोग प्रमुख फुआद तौफीक ने कहा कि 2,84,000 पात्र मतदाताओं में से लगभग 73% ने मालदीव की संसद के 93 सदस्यों। जिन्हें मजलिस के नाम से जाना जाता है को पांच साल के कार्यकाल के लिए चुनने के लिए अपने मत डाले थे। पूर्ण नतीजे रविवार देर रात या सोमवार सुबह आने की उम्मीद है। नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पीएनसी 20वीं पीपुल्स मजलिस की 93 सीटों में से 59 पर आगे है।
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भारत से और दूर होगा मालदीव
बता दें कि इस महीने जब संसदीय चुनावों के लिए प्रचार जोरों पर था, तब मुइज्जू ने चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों को हाई-प्रोफाइल बुनियादी ढांचे के ठेके दिए थे। उनका प्रशासन मालदीव की विशाल समुद्री सीमाओं पर गश्त करने के लिए नई दिल्ली द्वारा उपहार में दिए गए टोही विमानों का संचालन करने वाले 89 भारतीय सैनिकों की एक चौकी को घर भेजने की प्रक्रिया में भी है। वहीं अगर परिणाम के रुझानों को देखा जाए, तो मुइज्जू को अपनी चीन समर्थक नीतियों के साथ आगे बढ़ने में आसानी होने की संभावना है। जो इस क्षेत्र में भारत के सुरक्षा हितों को खतरे में डाल सकती है। दरअसल, पिछले साल के अंत में सत्ता में आए मुइज्जू ने अपना चुनाव अभियान भारत बाहर की थीम पर चलाया और अपने पूर्ववर्ती सोलिह पर भारत को बहुत अधिक प्रभाव देकर राष्ट्रीय संप्रभुता से समझौता करने का आरोप लगाया।