इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में कोविड-19 पृथक-वास केंद्रों की दयनीय हालत के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की है। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, हम आपको चरित्र प्रमाण पत्र नहीं देने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के समय न्याय सुनिश्चित करने का केंद्र हाईकोर्ट थे और वह राज्य सरकार के खिलाफ पारित आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी की। पिछले वर्ष हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार के खिलाफ पारित दो आदेशों के विरोध में दायर याचिका खारिज कर दी। ये आदेश अस्पतालों में सुविधाओं और कोविड-19 पृथक-वास केंद्रों से जुड़े हुए थे। राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील पी. रमेश कुमार ने कहा कि आदेश एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ा द्वारा पारित किए गए थे और कुछ निर्देश दिए गए जो लागू करने योग्य नहीं हैं। पीठ ने कहा, कोविड-19 केंद्रों में सुविधाएं दयनीय थीं। आपके पास महिलाओं एवं पुरुषों के लिए अलग शौचालय भी नहीं थे। यहां तक कि बिस्तर के चादर भी 15 दिन बाद बदले जाते थे। पृथक-वास केंद्रों के लिए चिकित्सक नहीं थे। हाईकोर्ट ने काफी धैर्यपूर्वक आदेश पारित किए हैं और माफ कीजिए, हम आदेशों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
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