India News (इंडिया न्यूज), Manmohan Singh: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई। जिसके बाद भारत सरकार ने पांच बड़े कदम उठाए। जिसमें सिंधु जल संधि को रद्द करना, भारत में रह रहे पाकिस्तानियों को वापस पाकिस्तान भेजना, अटारी बॉर्डर तत्काल प्रभाव से बंद करना, दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करना जैसे कड़े कदम उठाए गए। इसके बाद भी भारत की कार्रवाई लगातार जारी है। इस बीच, जब 2008 में 26/11 मुंबई आतंकी हमला हुआ था तो तब की तात्कालीन सरकार अमेरिका के सामने रो-रोकर मदद की भीख मांग रहा था। आइये आज हम उन्हीं किस्सों की चर्चा करते हैं।
26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत के तब के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह किस तरह अमेरिका के सामने गिरगिरा रहे थे। उस समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से कहा था कि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ उनकी बैठक से उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने इस सप्ताह जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले का हवाला दिया जिसमें एक सैन्य अधिकारी सहित 12 लोग मारे गए। शुक्रवार को ओबामा के साथ शिखर बैठक के दौरान मनमोहन सिंह ने कहा, “हमारे उपमहाद्वीप और पाकिस्तान में आतंकवादियों की मौजूदगी के कारण उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं।”
Manmohan Singh (अमेरिका के सामने रो पड़े थे मनमोहन सिंह)
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान के अनुसार, आतंकवाद के निरंतर खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए दोनों नेताओं ने न केवल 26 सितंबर के हमलों की कड़ी निंदा की बल्कि मांग की कि पाकिस्तान नवंबर 2008 के मुंबई हमलों के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाए। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 26 सितंबर को आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में एक सैन्य शिविर और एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। सुरक्षा बलों के साथ नौ घंटे तक चली मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए। इस बीच, रविवार को मनमोहन सिंह के साथ प्रस्तावित बैठक से पहले नवाज ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ उद्देश्यपूर्ण और सतत वार्ता करने का इच्छुक है।
नवाज ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा, “मैं एक नई शुरुआत के लिए मनमोहन सिंह से मिलने को लेकर उत्साहित हूं।” नवाज ने कहा कि दोनों देशों के पास 1999 के लाहौर समझौते से आगे बढ़कर एक नई शुरुआत करने के लिए मजबूत आधार है। उन्होंने कहा कि यह समझौता शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए आपसी मतभेदों को सुलझाने की रूपरेखा प्रदान करता है। इसके साथ ही नवाज ने कहा, “मैं क्षेत्र में शांति और आर्थिक प्रगति के लिए काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं।”