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MANREGA के पास 21 राज्यों के श्रमिकों को देने के लिए नहीं फूटी कोड़ी

Bharat Mehndiratta • LAST UPDATED : October 30, 2021, 11:46 am IST

MANREGA
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

क्षमिकों को काम देने वाली सरकार की महत्वकांक्षी महात्मा गांधी राष्टÑीय रोजगार गारंटी योजना के तहत काम करने वालों की इस बार की दिवाली फीकी रहने वाली है, क्योंकि मनरेगा योजना का वित्तीय खजाना खाली हो चुका है। यही नहीं, गरीबों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजना खुद कंगाली की कगार पर पहुंच चुकी है। इससे 21 राज्यों में काम करने वाले 11 करोड़ मजदूरों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

जानकारी अनुसार केंद्र की यह योजना वित्तीय वर्ष के आधे रास्ते में ही दम तोड़ गई है, जिससे मजदूरों को मेहनत की कमाई के लिए एक महीने का इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि योजना को संजीवनी देने के लिए बजटीय आवंटन अगले संसदीय सत्र में ही किया जाएगा।

बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट सिर्फ 73,000 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया था। केंद्र ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि देश में लगा लॉकडाउन समाप्त हो गया। ऐसे में अगर पैसा खत्म हो गया तो अनुपूरक बजटीय आवंटन उपलब्ध होगा।

जानकारी के मुताबिक 29 अक्टूबर तक भुगतान सहित कुल खर्च करीब 79810 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जिसके कारण योजना पर संकट आ गया। यही नहीं केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार विभाग ने 21 राज्यों को रेड सूची में डाल दिया है। इसमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की स्थिति दयनीय बताई गई है।

बता दें कि यह वही योजना है जिसमें सबसे ज्यादा 11 करोड़ श्रमिकों को देने के लिए सरकार ने 1 करोड़ 11 लाख रुपए का बजट पास किया था। लेकिन अब मनरेगा का खजाना खाली हो चुका है। इस बार सबसे ज्यादा बकाया राजस्थान के मजदूरों का है। इस राज्य के 64 हजार श्रमिकों का मेहनताना करीब 106 करोड़ रुपए है वहीं मटीरियल मदों की बात करें तो 81 करोड़ 74 लाख रुपए भुगतान अटका हुआ है।

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