होम / Festival Of Ideas: 'भारत के कई विचार' पर हुई चर्चा, पवन शर्मा ने कहा- भारत अपने अतीत को मिटाकर भविष्य की ओर नहीं बढ़ सकता

Festival Of Ideas: 'भारत के कई विचार' पर हुई चर्चा, पवन शर्मा ने कहा- भारत अपने अतीत को मिटाकर भविष्य की ओर नहीं बढ़ सकता

Roshan Kumar • LAST UPDATED : August 25, 2023, 1:42 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा करेंगे। साथ ही लोगों के सवालों का जवाब भी देंगे। बीते दिन कई दिग्गजों ने जनता के साथ अपने विचारों को साझा किया।

इसी कड़ी में ‘भारत के कई विचार’ मुद्दे पर चर्चा की गई। इसमें बीजेपी नेता (Festival Of Ideas) विनय सहस्रबुद्धे, पूर्व जदयू नेता और राजनियक पवन वर्मा और लेखक विक्रम सम्पत शामिल हुए। इस सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रिया सहगल की तरफ से किया गया।

कई विचार और तरीका एक

विनय सहस्रबुद्धे से पूछा गया कि पुराने भारत में लिबरल होने बहुत अच्छा माना जाता था। आज लिबरल होने का बहुत बुरा माना है। आज भारत का विचार क्या है जो आप देखते है। इस पर विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि जो पूरे चीज का कोर है वह नहीं बदला, यह समझना (Festival Of Ideas) का तरीका है। कई बार नेता अपने हिसाब से समझते है जो उन्हें अच्छा लगता है वह उस हिसाब से सोचते है। भारत के कई विचार है और उसे समझने का भी एक तरीका है। लेकिन एक लोकतंत्र में रहते है। लोकतंत्र किसी के लिए कुछ भी नहीं होता। हर बात का एक कोर होता है। इसलिए मैं समझता है की भारत का विचार एक है।

भारत एक राष्ट्र

पूर्व जदयू नेता और राजनयिक पवन वर्मा ने कहा कि मैं नहीं समझता का सभी का भारत का विचार एक है। हम सभी भारत के प्रति समर्मित है लेकिन हमारा विचार अलग हो सकता है। भारत एक राष्ट्र है और एक सभ्यता भी है। भारत एक आधुनकि राष्ट्र और दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है।

हर चीज बहुविचार

लेखक विक्रम सम्पत ने कहा कि भारत के कई विचार, हमारे देश में हर चीज बहुविचार, राजनीतिक रूप से कई विचार है। सांस्कृतिक रूप से कई विचार। आजादी के बाद नेहरूवादी ने भारत का एक विचार थोपा, जो उसमें नहीं आया उसे प्रताड़ित किया। उदहारण के रूप में आरएसएस को देख सकते है। भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ ना ही 1950 में। संविधान का निर्माण सभ्यता से प्रेरणा लेकर किया गया था। नेहरू तब भी खुश होते अगर सोमनाथ को संग्रहालय बनाने के पक्ष में है लेकिन एक जीवित मंदिर नहीं।

यह भी पढ़े-

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT