इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Marital Rape India Kanoon: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में पत्नी से रेप यानी मैरिटल रेप से जुड़ीं जनहित याचिकाओं का विरोध किया है। सरकार ने कहा कि इस बात को वेरिफाई करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है कि पत्नी ने कब सेक्स के लिए सहमति वापस ले ली। लिहाजा भारत को इस मामले में बहुत सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। केंद्र ने इस दौरान दहेज उत्पीड़न से जुड़ी आईपीसी की धारा 498 के दुरुपयोग का भी हवाला दिया।
भारत में पिछले कुछ सालों के दौरान मैरिटल रेप पर कानून बनाने की मांग तेज हुई है। दिल्ली हाई कोर्ट 2015 से ही इस मामले पर कई याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि इस मुद्दे पर कोई कानून बनाने से पहले एक व्यापक विचार-विमर्श की जरूरत है, क्योंकि ये समाज पर गहरा प्रभाव डालेगा। बता दें भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान समेत केवल 34 देशों में मैरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं क्या है मैरिटल रेप, किन देशों में मैरिटल रेप अपराध माना जाता है। भारत सरकार मैरिटल रेप को अपराध क्यों नहीं घोषित करना चाहती।
मैरिटल रेप क्या है? (What is Marital Rape)
पत्नी की बिना इजाजत के पति की ओर से जबरन शारीरिक संबंध बनाने को मैरिटल रेप कहा जाता है। मैरिटल रेप को पत्नी के खिलाफ एक तरह की घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न माना जाता है।
क्या कहना है marital rape पर भारतीय कानून का?
- भारतीय कानून में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। रेप को दंडनीय अपराध घोषित करने वाली इंडियन पीनल कोड (आईपीएस) की धारा 375 के (अपवाद-2) के मुताबिक मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। (Marital rape laws by country) इस अपवाद के अनुसार-यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाता है और अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है, तो इसे रेप नहीं माना जाएगा।
- यानी भारत में अगर पति अपनी पत्नी की सहमति या बिना सहमति के शारीरिक संबंध बनाता है और पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है, तो उसे रेप नहीं माना जाता है। इसका ये भी मतलब है कि पति अगर जबरन संबंध बनाए तो भी वह अपराध और रेप नहीं माना जाएगा।
रेप को लेकर क्या कहता Indian law ?
- किसी पुरुष द्वारा महिला के साथ जबरन सेक्स संबंध बनाने को आईपीसी की धारा 375 के अनुसार रेप माना जाता है। रेप को परिभाषित करने के लिए आइपीसी की धारा 375 में 6 वजहें बताई गई हैं।
- महिला की इच्छा के विरुद्ध सेक्स संबंध बनाना। महिला या उसके किसी करीबी को जान का भय दिखाकर संबंध बनाने के लिए सहमति हासिल करना। जब पुरुष जानता हो कि वह महिला का पति नहीं है और महिला ने उस पुरुष को अपना पति मानकर सहमति दी हो। जब सहमति देते समय महिला दिमागी रूप से स्वस्थ न हो, नशे में हो या उसे कोई नशीला पदार्थ दिया गया हो। 16 साल से कम की महिला की सहमति या बिना सहमति के संबंध बनाना रेप है।
- ऊपर बताई गई वजहों में से कोई भी भारत में शादी के बाद सेक्स संबंधों पर लागू नहीं होती है। यानी पति-पत्नी से उसकी मर्जी के बिना या जबरन सेक्स संबंध बना सकता है और ऐसा करना अपराध नहीं है।
क्या सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को किया था खारिज
- 2016 में मोदी सरकार ने मैरिटल रेप के विचार को खारिज कर दिया था। (Delhi High Court on marital rape) सरकार ने कहा था कि देश में अशिक्षा, गरीबी, ढेरों सामाजिक रीति-रिवाजों, मूल्यों, धार्मिक विश्वासों और विवाह को एक संस्कार के रूप में मानने की समाज की मानसिकता जैसे विभिन्न कारणों से इसे (मैरिटल रेप) भारतीय संदर्भ में लागू नहीं किया जा सकता है।
- 2017 में, सरकार ने आईपीसी की धारा 375 के मैरिटल रेप को अपराध न मानने के कानूनी अपवाद को हटाने का विरोध किया था।
- सरकार ने तर्क दिया था कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो जाएगी और इसका इस्तेमाल पत्नियों की ओर से अपने पतियों को सजा देने के लिए किया जाएगा।
- केंद्र ने हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप पर चल रही सुनवाई के दौरान कहा कि केवल इसलिए कि अन्य देशों ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया है, भारत को भी ऐसा करने की जरूरत नहीं है।
- केंद्र ने कहा कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से पहले इस मुद्दे पर सावधानी से विचार किया जाना चाहिए। हाल ही में सरकार ने संसद में मैरिटेल रेप के मुद्दे पर कहा कि हर शादीशुदा रिश्ते को हिंसक और हर पुरुष को रेपिस्ट मानना सही नहीं होगा।
दुनिया ने कब माना मैरिटल रेप को अपराध?
- जोनाथन हेरिंग की किताब फैमिली लॉ (2014) के मुताबिक, (Law On Marital Rape) ऐतिहासिक रूप से दुनिया के अधिकांश हिस्सों में ये धारणा थी कि पति पत्नी का रेप नहीं कर सकता, क्योंकि पत्नी को पति की संपत्ति माना जाता था।
- 20वीं सदी तक अमेरिका और इंग्लैंड के कानून मानते थे कि शादी के बाद पत्नी के अधिकार पति के अधिकारों में समाहित हो जाते हैं।
- 19वीं सदी की शुरूआत में नारीवादी आंदोलनों के उदय के साथ ही इस विचार ने भी जन्म लिया कि शादी के बाद बनने वाले पति-पत्नी के सेक्स संबंधों में महिलाओं की सहमति का अधिकार उनका मौलिक अधिकार है।
दुनिया के कितने देशों में मैरिटल रेप अपराध है?
1922 में सोवियत यूनियन मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने वाले पहला देश था। सोवियत संघ के बाद 1932 में पोलैंड ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया था। 1960-1970 के दशक तक अधिकतर पश्चिमी देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे। ब्रिटेन ने 1991 और अमेरिका ने 1993 में मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, (Marital rape crime in 150 countries of the world) 2019 तक दुनिया के 150 देश मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर चुके थे। (marital rape statistics worldwide)
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