Mark Zuckerberg
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
लगता है फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग के बुरे दिन चल रहे हैं। एक के बाद एक उनके लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। टाइम मैगजीन ने अपने कवर पर जुकरबर्ग का फोटो लगाया है और इस पर ‘डिलीट फेसबुक’ के टेक्स्ट के साथ ‘कैंसिल या डिलीट’ का आॅप्शन लिखा है, जिस कारण मार्क जुकरबर्ग की छवि खराब हो रही है। इससे पहले 5 अक्टूबर की शाह फेसबुक के साथ वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का सर्वर 5 घंटों तक डाउन रहा, जिस कारण उन्हें 52000 करोड़ रुपए का नुक्सान बताया जा रहा है। वहीं इसके बाद फेसबुक के साथ काम कर चुकीं फ्रांसेस हौगेन ने आरोप लगाया कि उसके प्रोडक्ट बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और फेसबुक लोगों की सुरक्षा को दांव पर लगा रहा है। ऐसे में अब टाइम मैगजीन ने भी जुकरबर्ग को निशाने पर लिया है।
इस आर्टिकल में फेसबुक की सिविल इन्टेग्रटी के बारे में बताया गया है कि सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं और नफरत फैलाने वाली पोस्ट के खिलाफ लड़ने वाली टीम के सभी मेंबर्स को अलग-थलग कर दिया गया। फेसबुक ने दिसंबर 2020 में इस टीम को हटा दिया था। इस वजह से फ्रांसेस हौगेन अब खुलकर सामने आ गई हैं। हौगेन ने ये भी कहा कि कंपनी ने अपने उस इंटरनल सर्वे को भी छिपाया, जिसमें खुलासा हुआ था कि कैसे इंस्टाग्राम का एल्गरिदम युवाओं के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
हौगेन ने लगाया था ये आरोप
फ्रांसेस हौगेन ने अमेरिकी कांग्रेस में कहा था कि चीन और ईरान दुश्मनों से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फेसबुक के पास जासूसी के खिलाफ काम करने वाली टीम की कमी है, यह अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा है। फेसबुक ने पैसा कमाने के लिए लोगों की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया है।
Also Read : फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग पर लगा लोगों की सुरक्षा को दांव पर लगाने का आरोप
कौन है आरोप लगाने वाली महिला
फेसबुक पर लोगों की सुरक्षा दांव पर लगाने का आरोप लगाने वाली महिला फ्रांसेस हौगेन है और ये एक समय में फेसबुक की ही कर्मचारी थी। उन्होंने कहा कि मैंने फेसबुक इसलिए ज्वाइन किया था क्योंकि मुझे उम्मीद थी कि यहां से मैं दुनिया के लिए अच्छा कर सकती हूं लेकिन मैं वहां से इसलिए चली आई क्योंकि फेसबुक के उत्पाद बच्चों के लिए नुकसानदेह होते हैं।
मार्क जुकरबर्ग ने नकारे सभी आरोप
फ्रांसेस हौगेन के आरोपों को खारिज करते हुए मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि इस तर्क में कोई सच्चाई नहीं है कि हम जानबूझकर ऐसे कंटेंट को आगे बढ़ाते हैं जो लोगों को नाराज करे और इससे हमें फायदा हो। वे ऐसी किसी भी कंपनी को नहीं जानते जो कोई ऐसे प्रोडक्ट बना रही हो जिससे लोगों को एंग्री या डिप्रेस किया जाए।