India News (इंडिया न्यूज), Meerut: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ की 100 वर्षीय महिला से दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को बरी कर दिया। स्वतंत्र गवाह के अभाव और मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि न होने पर निचली अदालत के आजीवन कारावास के आदेश को पलट दिया। जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस गौतम चौधरी की कोर्ट ने अंकित पुनिया की अपील पर यह आदेश दिया गए है। जिसके बारें में जानना जरूरी है।

  • 100 साल की महिला के साथ दुष्कर्म का आरोप
  • हाईकोर्ट ने उठाया फैसला

क्या लिया हाईकोर्ट ने फैसला

भारत में लगातार रेप के मामले सामने आ रहे है उसमें से ही एक मामला 29 अक्टूबर 2017 का है जिसमें अंकित पुनिया के खिलाफ मेरठ के जानी थाने में महिला से दुष्कर्म, एससी/एसटी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हुआ था। घटना के बाद महिला को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद हत्या की धारा में भी केस दर्ज हुआ। 20 नवंबर 2020 को विशेष कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

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याची के वकील ने दलील दी कि वादी ने आरोपी से पैसे उधार लिए थे। पैसे चुकाने और सरकार से आर्थिक सहायता पाने से बचने के लिए उसे झूठे केस में फंसाया गया है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में दुष्कर्म का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। अपर शासकीय अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने घटना को संदेह से परे साबित कर दिया है। आरोपी ने नशे की हालत में जबरन घर में घुसकर वारदात को अंजाम दिया था। इसलिए अपील खारिज किए जाने योग्य है।

अदालत ने दलीलें सुनने और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान सही नहीं हैं। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में चोट के निशान नहीं हैं और दुष्कर्म का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इन आधारों पर अदालत ने अपील स्वीकार करते हुए आरोपी को बरी कर दिया।

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