India News (इंडिया न्यूज़),MNREGA BUDGET: देश में मनरेगा (MNREGA BUDGET) को लेकर विवाद कम होने का नाम हीं नहीं ले रही है। जरी एक रिपो्ट अनुसार पिछले तीन साल में मनरेगा का बजट 89,400 करोड़ रुपए से घटाकर 60 हजार करोड़ रुपए हो गए है। जिसेक बाद से मनरेगा के लिए ग्रामीण विकास व पंचायती राज के लिए बनी संसदीय समिति ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए लोकसभा में गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी कर समिति ने कहा कि, बजट में 29,400 करोड़ रुपए की कटौती पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय कोई वाजिब वजह तक नहीं बता सका है। यह कटौती ग्रामीण रोजगार योजना के तहत अब तक हुए कामों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।
समिति ने मंत्रालय के रिपोर्ट रक जाताई नाखुशी, बताया घिसापिटा
ग्रामीण विकास व पंचायती राज के लिए बनी संसदीय समिति के द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय ने समिति को जवाब में साल 2019-20 से आवंटन से जुड़े आंकड़े दिए थे। जिसके सफाई में कहा था कि, जरूरत होने पर वित्त मंत्रालय से अतिरिक्त फंड का निवेदन किया जाता है। केंद्र सरकार भी श्रम भुगतान व अन्य घटकों का पैसा जारी कर देगी। जिसके बाद संसदीय समिति ने नाखुशी जताते हुए जवाब को ‘घिसापिटा’ और ‘दस्तूरी’ करार दिया।
सड़को की खराब गुणवत्ता
मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी कई सड़कों की खराब गुणवत्ता को संसदीय समिति ने अस्वीकार्य बताया है। जिसके बाद संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि, योजना के तहत सड़कों की मोटाई 20 से बढ़ाकर 30 मिमी की जानी चाहिए। बता दें कि, लोकसभा में बृहस्पतिवार को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने बेहतर केंद्र-राज्य सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
समिति ने दिए सुझाव
वहीं संसदीय समिति ने लोकसभा में कहा कि, डिजिटल मार्केट में किसी तरह के एकाधिकार की स्थिति न आए, यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्व मूल्यांकन किया जाना जरूरी है। वित्तीय मामलों के संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है कि, संसदीय समिति ने कहा कि डिजिटल मार्केट का चरित्र पारंपरिक बाजार से भिन्न होने को देखते हुए भविष्य में डीएमडीयू महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
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