India News (इंडिया न्यूज), Ravneet Singh Bittu: मोदी कैबिनेट में लुधियाना से पूर्व सांसद रहे रवनीत सिंह बिट्टू को अपने कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने सबको हैरान कर दिया है। लुधियाना सीट से हारने के बाद माने जाने लगा था कि अब बिट्टू को सांसदी पाने के लिए पांच साल का और इंतजार करना पड़ेगा एवं मोदी कैबिनेट में इस बार पंजाब से कोई मंत्री नहीं होगा। बिट्टू को कैबिनेट में शामिल कर भाजपा ने एक बार फिर से सिखों को साधने के कोशिश की है। रवनीत बिट्टू इस समय न तो लोकसभा सांसद हैं और न ही राज्यसभा के मेंबर। पंजाब विधानसभा में महज 2 विधायक होने के चलते यहां से उन्हें राज्यसभा •ोजने की पोजिशन में •ाी नहीं है। ऐसे में पार्टी उन्हें किसी दूसरे स्टेट से राज्यसभा में •ोज सकती है। रवनीत सिंह बिट्टू के परिवार का पंजाब में अलग सियासी रसूख है। उनके दादा बेअंत सिंह कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे। पंजाब में आतंकवाद खत्म करने की कीमत अपनी जान देकर चुकाने वाले बेअंत सिंह को पंजाबी, खासकर हिंदू बिरादरी आज •ाी याद करती है। पंजाब में 60 प्रतिशत आबादी सिखों की है। बिट्टू पगड़ीधारी सिख हैं। उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी इस आबादी के करीब जाने की कोशिश कर रही है।
बिट्टू को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल करके बीजेपी ने उन लोगों को जवाब देने की कोशिश की है जो उसे पंजाब विरोधी बताते हैं। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि बिट्टू के मंत्री बनने से पंजाबियों में उसे लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा। पार्टी की रणनीति सिख चेहरों को आगे रखते हुए ग्रामीण एरिया में पैठ बनाने की है। पंजाब के अंदर बीजेपी का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसी लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए भाजपा वोट शेयर के मामले में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 9 प्रतिशत के आसपास था जो 2014 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 18.56 प्रतिशत पर पहुंच गया।
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प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने के मामले में •ाी भाजपा का प्रदर्शन अकाली दल के मुकाबले बेहतर रहा। अकाली दल के 13 में से 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल, फिरोजपुर से नरदेव सिंह बाबी मान और अमृतसर से अनिल जोशी ही अपनी जमानत बचा पाए। इसके मुकाबले भाजपा के 13 में से सिर्फ 4 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। इनमें खडूर साहिब के मंजीत सिंह मन्ना मियाविंड, बठिंडा से परमपाल कौर सिद्धू, संगरूर से अरविंद खन्ना और फतेहगढ़ साहिब से गेजाराम शामिल रहे।
भाजपा पंजाब की 13 सीटों में से 3 सीटों पर तो दूसरे स्थान पर रही। इनमें लुधियाना, जालंधर और गुरदासपुर सीट शामिली है। पार्टी 6 सीटों अमृतसर, आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, होशियारपुर व पटियाला में तीसरे स्थान पर रही। इसके अलावा, नवजोत सिद्धू के पार्टी छोड़ जाने के बाद भाजपा के पास पंजाब में कोई बड़ा सिख चेहरा नहीं बचा। भाजपा ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को साथ जोड़कर इस कमी को पूरा करना चाहा लेकिन बढ़ती उम्र के कारण कैप्टन सक्रिय राजनीति से लग•ाग किनारा कर चुके हैं। ऐसे में रवनीत बिट्टू के आने से पार्टी की सिख चेहरे की तलाश खत्म होती नजर आ रही है।
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भाजपा बेशक इस लोकसभा चुनाव में एक •ाी सीट नहीं जीत पाई लेकिन उसका टारगेट 2027 में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव है। इसकी शुरुआत पार्टी ने एक तरह से 2022 के विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद शुरू कर दी थी। 2027 के विधानसभा चुनाव में तकरीबन ढाई साल पड़े हैं। रवनीत बिट्टू अ•ाी जवान हैं। आनंदपुर साहिब और लुधियाना लोकसभा सीट से 3 बार कांग्रेस का सांसद रहने के अलावा वह पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान •ाी रहे हैं। भाजपा नेतृत्व को लगता है कि अगर उन्हें पार्टी की रीति-नीति के हिसाब से ढाल लिया जाए तो वह आने वाले कई बरसों तक पंजाब में पार्टी के लिए काम कर सकते हैं।
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