India News(इंडिया न्यूज), Modi 3.0: आज नरेंद्र मोदी रिकॉर्ड तीसरी बार शपथ ग्रहण करेंगे। जिसको लेकर देश की सियासत में जबरदस्त गर्माहट है वहीं दूसरी ओर सबकी नजर मोदी 3.0 के कैबिनेट पर है जिसको लेकर आज सुबह से ही कई दिग्गज नेताओं को फोन जाने लगे है। वहीं इस बार के मोदी कैबिनेट के सबसे दिग्गज नेता और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले मोदी के दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री बने अमित शाह पर है कि आखिर मोदी के तीसरे कार्यकाल में उनका कैबिनेट में क्या रोल होगा।
मुंबई में जन्मे अमित शाह के दादा मानसा (गुजरात) के नगरसेठ हुआ करते थे। उनके पिता अनिल चंद्र शाह का नाम पीवीसी पाइप के बड़े व्यापारियों में शामिल था। मेहसाणा में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद शाह बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई करने अहमदाबाद पहुंचे। यहां उन्होंने सीयू शाह साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। शाह ने यहीं से बायोकेमिस्ट्री में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाने लगे। इस दौरान शाह ने अहमदाबाद के सहकारी बैंकों में स्टॉक ब्रोकर के तौर पर भी काम किया।
अमित शाह एक गुजराती कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखते थे और शुरू से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े रहे। बचपन में वे संघ की शाखाओं में जाते थे। कॉलेज के दौरान भी वे संघ से जुड़े रहे, जहां 1982 में उनकी पहली मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। उस समय मोदी संघ के प्रचारक हुआ करते थे और युवाओं से जुड़ी गतिविधियों की जिम्मेदारी उनके पास थी।
संघ के घेरे से निकलकर शाह ने 1983 से छात्र राजनीति की शुरुआत की। फिर वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए। चार साल बाद यानी 1987 में शाह भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा में शामिल हो गए। इसके एक साल बाद नरेंद्र मोदी भी संघ की जिम्मेदारियां छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। अमित शाह ने भाजयुमो में खूब मेहनत की। उन्होंने वार्ड सचिव, तालुका सचिव, राज्य सचिव से लेकर उपाध्यक्ष और महासचिव तक का सफर पूरा किया। शाह की सबसे बड़ी खूबी उनकी प्रबंधन शैली है।
1991 में जब लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने आए तो शाह ने चुनाव प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी संभाली। मोदी-शाह की जोड़ी ने गांव-गांव में भाजपा को मजबूत किया। 1995 में भाजपा ने पहली बार गुजरात में सरकार बनाई। उस समय गुजरात के ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस काफी मजबूत हुआ करती थी 1999 में अमित शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष चुने गए।
उस समय इन चुनावों में जातियों का बोलबाला था। पटेल, गड़ेरिया और क्षत्रिय जाति के लोग ही ये चुनाव जीतते थे। शाह की जाति इनमें नहीं थी, फिर भी उन्होंने अपनी सूझबूझ से जीत हासिल की। शाह जब अध्यक्ष चुने गए तो बैंक 36 करोड़ रुपये के घाटे में था। अमित शाह ने एक साल के अंदर इस घाटे को मुनाफे में बदल दिया और 27 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। आज यह बैंक 250 करोड़ से ज्यादा के मुनाफे में है। कांग्रेस को कमजोर करके मोदी और शाह मजबूत हुए मोदी और शाह की जोड़ी ने गुजरात में कांग्रेस को हर तरह से कमजोर किया।
2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने। पीएम मोदी अमित शाह को अपने साथ राष्ट्रीय राजनीति में लेकर आए। शाह को उस दौरान बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। उन्हें राज्यसभा सांसद भी बनाया गया। इसके बाद शाह लगातार दो बार पार्टी के अध्यक्ष रहे।
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शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान बीजेपी ने 10 से ज्यादा राज्यों में सरकार बनाई। 2014 से 2016 के बीच बीजेपी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और असम में सरकार बनाई। हालांकि, बिहार और दिल्ली में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। 2017 में बीजेपी उत्तर प्रदेश में बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही। उत्तराखंड में भी बीजेपी को बड़ी जीत मिली। इसके बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार बनी। मार्च 2018 में बीजेपी ने पहली बार कम्युनिस्ट बहुल उत्तर पूर्व राज्य त्रिपुरा पर कब्जा किया. इसके अलावा नागालैंड और मेघालय में भी बीजेपी सहयोगी के तौर पर सरकार में शामिल हुई। बीजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव शाह के नेतृत्व में लड़ा और बड़ी जीत हासिल की।
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