India news(इंडिया न्यूज़), Mother Teresa: कहते है सब अपने लिए जीते है, लेकिन इस संसार में जो दूसरों के लिए अपना सर्वस्व निक्षावर कर देता है वह महान कहलाता है। इस तरह के लोगों का जीवन समाज के लिए हमेशा प्रेरणा दायक होता है। ऐसीं ही थी एक महान हस्ती मदर टेरेसा। दया की मूर्ती मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन दूसरे के सेवा में लगा दिया। मदर टेरेसा में अपार प्रेम का भंडार था, जो किसी एक लोग के लिए नहीं बल्कि हर उस इन्सान के लिए था, जो गरीबी, लाचारी, बीमारी, से जुझ रहे थे, उनके लिए मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। मदर टेरेसा भारत की नहीं थी बल्की वे पहली बार भारत आई तो भारत के लोगों से प्रेम कर बैठी।
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 हुआ था, इनका नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। उनके पिता येशु के अनुयायी थे। मदर टेरेसा के पिता का मौत 1919 मं हो गयी, जिसके बाद उनकी माता ने उनका लालन-पालन किया। 1929 में मदर टेरेसा अपने इंस्टीट्यूट की बाकी नन के साथ मिशनरी के काम के भारत के दार्जिलिंग शहर आई। जहां उन्हें मिशनरी स्कुल में पढ़ाने के लिए भेजा गया। मई 1931 में उन्हें भारत के कलकत्ता शहर भेजा गया। यहाँ उन्हें गरीब बंगाली लड़कियों को शिक्षा देने को कहा गया. डबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा संत मैरी स्कूल की स्थापना की गई, जहाँ गरीब बच्चे पढ़ते थे। मदर टेरेसा को बंगाली व हिंदी दोनों भाषा का बहुत अच्छे से ज्ञान था, वे इतिहास व भूगोल बच्चों को पढ़ाया करती थी। कई सालों तक उन्होंने इस कार्य को पूरी लगन व निष्ठा से किया।
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