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MP High Court on Surya Namaskar सूर्य नमस्कार एक यौगिक प्रणाली, कैसे आहत होंगी धार्मिक भावनाएं : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

Harpreet Singh • LAST UPDATED : February 2, 2022, 9:09 pm IST

इंडिया न्यूज, भोपाल :
MP High Court on Surya Namaskar : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि सूर्य नमस्कार पूरी तरह से एक यौगिक-प्रणाली है और इससे धार्मिक भावनाएं कैसे आहत हो सकती हैं। दरअसल इस संबंध में भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।

हाईकोर्ट ने ओपन कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा कि सूर्य नमस्कार विशुद्ध तौर पर यौगिक-प्रणाली है। यह किसी तरह से धार्मिक उपासना की विधि नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, स्वस्थ जीवन से सूर्य नमस्कार का संबंध है। लिहाजा, सूर्य नमस्कार से धार्मिक भावनाएं आहत होने का सवाल ही नहीं उठ सकता। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से पूछा कि सर्कुलर में कहां लिखा है कि सूर्य नमस्कार करने की बाध्यता है।

इस पर याचिकाकर्ता ने कुछ कागजात कोर्ट में पेश करने का समय मांगा। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता आरिफ मसूद को आठ फरवरी तक का समय दिया। गौरतलब है कि आरिफ मसूद ने जनहित याचिका के माध्यम से सूर्य नमस्कार के आयोजन व उसमें हिस्सा लेने की बाध्यता को चुनौती दी है।

जनहित याचिका में कहा गया कि केंद्र व राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार एक जनवरी से सात फरवरी तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 करोड़ सूर्य नमस्कार प्रोजेक्ट संचालित है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 29 दिसंबर, 2021 को अधिसूचना जारी कर सभी शैक्षणिक संस्थाओं में आयोजन की अनुमति दी है।

यह आयोजन 30 राज्यों की 30 हजार संस्थाओं में हो रहा है। इसमें लगभग तीन लाख विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं। खेल और युवा कल्याण मंत्रालय से संबद्ध नेशनल योगासन स्पोर्ट्स फेडरेशन द्वारा युवाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने सूर्य नमस्कार का अभियान चलाया जा रहा है।

सूर्य नमस्कार और इसके फायदे MP High Court on Surya Namaskar

12 योगासनों को मिलाकर सूर्य नमस्कार बनाया गया है। हरेक आसन का अपना महत्व है। अगर सूर्य नमस्कार को डेली रूटीन में शामिल कर सही तरीके से किया जाए तो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आएगी। 12 आसनों के दौरान गहरी सांस लेनी होती है जिससे शरीर को फायदा होता है। इससे उदर के अंगों की स्ट्रेचिंग होती है जिससे पाचन तंत्र सुधरता है।

सूर्य नमस्कार के आसनों से उदर की मांसपेशी मजबूत होती है। अगर इन्हें रेगुलर किया जाए, तो पेट की चर्बी कम होती है। आसनों के दौरान सांस खींचने और छोड़ने से फेफड़े तक हवा पहुंचती है। इससे खून तक आक्सीजन पहुंचती है जिससे शरीर में मौजूद कार्बन डाइआक्साइड और बाकी जहरीली गैस से छुटकारा मिलता है।

इससे चिंता व तनाव भी दूर होता है। शरीर में लचीलापन आता है। सूर्य नमस्कार करने से मासिक-धर्म रेगुलर होता है। रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। सूर्य नमस्कार करने से चेहरे पर झुर्रियां देर से आती हैं और स्किन में ग्लो आता है। इससे आप जितनी तेजी से वजन कम कर सकते हैं, उतनी जल्दी डायटिंग से भी फायदा नहीं होता।

यह है याचिकाकर्ता की दलील

प्रारंभिक सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में दलील दी गई थी कि सूर्य नमस्कार अनिवार्य किए जाने के आदेश से धर्म विशेष के लोगों की भावनाएं आहत होती हैं, लिहाजा, इसे स्वैच्छिक किया जाना चाहिए। आरिफ मसूद ने सूर्य नमस्कार को सूर्य पूजा बताया है और कहा है कि यह इस्लाम में मान्य नहीं है। इसी आधार पर जनहित याचिका में मांग की गई कि सूर्य नमस्कार अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक किया जाए।

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