India News (इंडिया न्यूज), MP Kartikeya Sharma: राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने एआई द्वारा उत्पन्न चुनौतियां को लेकर इलेक्ट्रॉनिकी और सुचना पौद्योगिकी मंत्री से 4 सवाल पूछे हैं। जिसका जवाब इलेक्ट्रॉनिकी और सुचना पौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने दिया है। सांसद कार्तिकेय शर्मा ने जो सवाल पूछे हैं, उसमें क्या सरकार ने कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) द्वारा उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों की पहचान की है, जिनमें नैतिक चिंताएं, गोपनीयता के मुद्दे और नौकरियों का विस्थापन शामिल है, यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है? क्या महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई के प्रयोग से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं? क्या सरकार विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों में एआई के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक कार्य बल गठित करने पर विचार कर रही है? इसके अलावा उभरती चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए एआई के प्रति जागरूकता पैदा करने और कौशल निर्माण करने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं, यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
सांसद कार्तिकेय शर्मा के प्रश्नों का उत्तर देते हुए इलेक्ट्रॉनिकी और सुचना पौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार देशभर में प्रधानमंत्री के देशभर में अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए ‘सभी के लिए एआई’ की अवधारणा पर जोर देती है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई समाज के सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करे, नवाचार और विकास को बढ़ावा दे। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की नीतियों का उद्देश्य एआई विकास के बीच देश उपयोगकर्ताओं के लिए एक खुला, सुरक्षित विश्वसनीय और जवाबदेह इंटरनेट सुनिश्चित करना है। सरकार अपने लोगों की भलाई के लिए कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) की शक्ति का दोहन सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, शासन, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) और अन्य क्षेत्रों में एआई के उपयोग कोतेजी से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही सरकार एआई से उत्पन्न जोखिमों से भी अवगत है। भ्रम, पूर्वाग्रह, गलत सूचना और डिपफेक एआई द्वारा उत्पन्न कुछ चुनौतियां हैं।
जितिन प्रसाद ने कहा कि सरकार इस बात सेअवगत है कि एआई को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता है। तदनुसार, सरकार ने संबंधित हितधारकों के साथ व्यापक सार्वजनिक परामर्श के बाद 25.02.2021 को सूचना पौद्योगिकी ( माध्यस्थदिशा-निर्देश और डिजटल मिडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (“आईटी नियम, 2021”) को अधिसूचित किया है। जिसे बाद में 28.10.2022 और 6.4.2023 को संसोधित किया गया। आईटी नियम, 2021 ने सोशल मीडिया माध्यस्थों और प्लेटफॉर्मों सहित माध्यस्थों को विशिष्ट कानूनी दिए है ताकि वे सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट के प्रति अपनी जवाबदेही सुनिश्चित कर सके, जिसमें निषिद्ध गलत सूचना, स्पष्ट रूप से झूठी सूचनाऔर डीपफेक को हटाने की दिशा में उनकी त्वरित कार्रवाई शामिल है। आईटी नियम, 2021 में प्रदत्त कानूनी दायित्वों का पालन करने में माध्यस्थों की विफलता के मामले में वे सूचना पौद्योगिकी की अधिनियम, 2000 (“आईटी अधिनियम”) की धारा 79 के तहत अपनी सुरक्षा खो देते हैं और किसी भी मौजूदा कानून के तहत प्रदान की गई परिणामी कार्रवाई या अभियोजन के लिए उत्तरदायी होंगे।
इसके अलावा, डिजिटल वैयक्तिक डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को 11 अगस्त, 2023 को अधिनियमित किया गया है,जो डिजिटल वैयक्तिक डेटा की सुरक्षा के लिए डेटा फिड्युशरीज को दायित्व देता है, उन्हें जवाबदेह बनाता है। साथ ही डेटा प्रिंसिपलों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है। सरकार ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री के पीएसए की अध्यक्षता में भारत-विशिष्ट विनयामक एआई ढांचे के लिए एआई पर एक सलाहकार समूह का गठन किया है, जिसमें शिक्षा, उद्योग और सरकार के विभिन्न हितधारक शामिल हैं। जिसका उद्देश्य एआई के सुरक्षित और विश्वसनीय विकास और तैनाती के लिए जिम्मेदार एआई ढांचे के विकास से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान करना है।
कृत्रिम बुद्धिमता के आगमन से किसी भी नौकरी का नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि इसका उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। एआई के परिणामस्वरूप कुछ नियमित नौकरियों को स्वचालित किया जा सकता है, लेकिन इससे विभिन्न डेटा विज्ञान, डेटा क्यूरेशन आदि में रोजगार सृजन भी होगा। इसके लिए रीस्किलिंग और अपस्किलिंग की आवश्यकता होगी, जिसके लिए एमईआईटीवाई ने कृत्रिम बुद्धिमता सहित नई/उभरती 10 पौद्योगिकियों में रोजगार केलिए आईटी जनशक्ति केरी-स्किलिंग/अप-स्किलिंग के लिए ‘फ्यूचर स्किल्स प्राइम’ कार्यक्रम शुरू किया गया है। इंडिया एआई मिशन का एक प्रमुख स्तंभ इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स है, जिसका उद्देश्य अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मान्यता प्राप्त इंजिनीरिंग संस्थानों के बी.टेक और एम.टेक छात्रों को इंडिया एआई फेलोशिप प्रदान करके एआई डोमेन में स्नातक और स्नातकोत्तर की संख्या बढ़ाना है। इसके अलावा, शीर्ष 50 राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंक वाले संस्थानों को एआई और संबंधित विषयों के क्षेत्र में शोध करने केर लिए इंडिया एआई पीएचडी फेलोशिप के साथ समर्थन दिया जा रहा है।
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