India News (इंडिया न्यूज़), Mughal religious conversion: सोशल मीडिया पर मुगल काल की चर्चा हो रही है और लोग मुगलों द्वारा किए गए कार्यों पर चर्चा कर रहे हैं। कई लोग मुगलों की नीति का विरोध कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसके पक्ष में हैं। वैसे भी इतिहासकारों की भी अलग-अलग मान्यताएं हैं और कई किताबों में इसका अलग-अलग तरीके से जिक्र किया गया है। मुगलों ने लोगों का धर्म परिवर्तन कराया या नहीं, यह जानने से पहले आपको बता दें कि इस पर अभी चर्चा क्यों हो रही है।
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने मुगलों को लेकर एक बयान दिया है, जिसमें धर्म परिवर्तन का भी जिक्र है। उन्होंने मुगलों को सच्चा भारतीय बताया है, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसका जिक्र हो रहा है। तो आइए जानते हैं कि मणिशंकर अय्यर ने क्या कहा और मुगलों के बारे में बताए गए तथ्यों को लेकर इतिहास में क्या कहा गया है।
अय्यर ने क्या कहा?
मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘मुगलों को सच्चा भारतीय बताया और कहा कि मुगल काल में हिंदुओं पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई, अगर ऐसा होता तो 1872 में जब ब्रिटिश सरकार ने पहली जनगणना कराई तो भारत में 72 प्रतिशत हिंदू और 24 प्रतिशत मुस्लिम की जगह 72 प्रतिशत मुस्लिम और 24 प्रतिशत हिंदू होते। अय्यर ने आरोप लगाया कि भाजपा को भारत के केवल 80 प्रतिशत हिंदुओं की चिंता है और वह 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को देश में मेहमान मानती है।
क्या है हकीकत?
उनका कहना है कि मुगल काल में हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन नहीं हुआ, जबकि कहा जाता है कि उस दौर में कई हिंदुओं को जबरन इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। अय्यर की तरह कई अन्य इतिहासकार भी कहते हैं कि उस दौर में कोई जोर जबरदस्ती नहीं हुई। भारतीय इतिहास की जानी-मानी इतिहासकार रोमिला थापर ने एक बार अपने लेख में मुगल काल में हुए धर्म परिवर्तन के बारे में जानकारी दी थी।
उनके लेख के अनुसार, ‘कई बार मुगल सेना का नेतृत्व हिंदुओं ने किया था। मेल टुडे के लेख में कहा गया है, ‘वास्तव में मुगल काल में हिंदुओं का धर्मांतरण इतने बड़े पैमाने पर नहीं हुआ, जितना दावा किया जाता है। बंटवारे से पहले भी भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक थे। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि हिंदुओं पर धर्म बदलने के लिए कोई बाध्यता नहीं थी। साथ ही, यह नहीं मान लेना चाहिए कि उस काल में हिंदुओं पर बहुत अत्याचार हो रहे थे।’
जब भी मुगल काल में हिंदुओं पर अत्याचार की बात होती है, तो औरंगजेब का जिक्र जरूर होता है। दरअसल, आम लोगों के बीच औरंगजेब की छवि धार्मिक उन्माद से भरे एक कट्टर राजा की है, जो हिंदुओं से नफरत करता था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी इतिहासकार ऑड्रे ट्रुश्के की किताब ‘औरंगजेब-द मैन एंड द मिथ’ में कहा गया है कि यह तर्क गलत है कि औरंगजेब ने हिंदुओं से नफरत के कारण मंदिरों को ध्वस्त किया।
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अत्याचार के तथ्य भी हैं
लेकिन, औरंगजेब के खिलाफ भी कई तथ्य हैं। रिपोर्ट के अनुसार जवाहरलाल नेहरू ने 1946 में प्रकाशित अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी औरंगजेब को धार्मिक रूप से कट्टर और रूढ़िवादी के रूप में प्रस्तुत किया है। कहा जाता है कि मुगल वंश में जन्मे औरंगजेब ने हिंदुस्तान की धरती पर अपने शासन के दौरान कई अत्याचार किए और कई बेगुनाहों का खून बहाया। लेकिन अकबर के लिए ऐसा नहीं कहा जाता है।
कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुस्तान के लोगों पर सबसे क्रूर अत्याचार किए। उसने अपने शासन के दौरान हिंदुओं के लिए बहुत कठोर नियम बनाए। उसने इस्लाम पर आधारित अपने शासन की पद्धति को लागू किया और हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर कर लगा दिया।