India News (इंडिया न्यूज़), Mulayam Singh Birth Anniversary: पहलवानी में माहिर मुलायम सिंह यादव बहुत रणनीति के साथ राजनीति करते थे। इसी तरह उन्होंने एक जनसभा में अचानक अपने बेटे अखिलेश यादव को राजनीति में उतारकर सबको चौंका दिया था। मुलायम के इस्तीफे से कन्नौज सीट खाली हो गई थी। पढ़िए क्या है पूरा मामला। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में कन्नौज और संभल सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर उन्हें जीत मिली थी। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते 2000 में यहां उपचुनाव की घोषणा हुई थी। प्रचार जोर पकड़ चुका था और शहर के बोर्डिंग ग्राउंड में मुलायम सिंह की जनसभा चल रही थी।

अखिलेश को राजनीति में लाने को कहा

अमर सिंह और आजम खान के साथ मंच पर एक युवा चेहरा भी था, जिसे बहुत कम लोग जानते थे। वह युवा चेहरा कोई और नहीं बल्कि मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव थे। इसी बीच अमर सिंह ने मंच पर ही मुलायम सिंह के कान में कुछ फुसफुसाया। सपा के वरिष्ठ नेता अवधेश कुशवाहा बताते हैं कि अमर सिंह ने मुलायम से अपने बेटे अखिलेश को राजनीति में लाने को कहा। पहले तो मुलायम सिंह राजी नहीं हुए, लेकिन जब आजम खान ने भी उन पर दबाव बनाया तो वह कुछ देर तक सोचते रहे। फिर वह कुर्सी से उठे और अखिलेश का हाथ पकड़कर जनता से कहा- मैं अपने बेटे को छोड़ रहा हूं, मुझे सांसद बना दो!

अस्पताल के शौचालय में पैदा हुआ बच्चा, दर्द से तड़पती रही मां, हैवान बनकर आया कुत्ता और मुंह में दबाकर…

राजनीतिक गलियारों मच गई हलचल

जनसभा में शोर बढ़ गया। पिता की जगह बेटे के चुनाव लड़ने की घोषणा से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। जनसभा के बाद जब अखिलेश अपने पिता के साथ मंच से नीचे उतरने लगे तो उन्होंने कहा कि अब आपको यहीं रहकर चुनाव प्रचार करना है। उपचुनाव में उनका मुकाबला बसपा के अकबर अहमद डंपी से था। अखिलेश जीते। इसके बाद वह साल 2004, 2009 में जीते और 2012 में यूपी के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे।

नेपाल के अलावा इन देशों के नागरिक भारतीय सेना में दिखाते हैं दमखम, जानें किन देशों की सेना में एंट्री नहीं