ये बात 1996 की जब देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था 1996 के चुनाव में 161 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आई जबकि कांग्रेस को 141 सीटें मिली थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गए। लेकिन हुआ क्या? सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण महज 16 दिन में सरकार गिर गई इसके बाद दौर आया जिसे मुलायम सिंह यादव कभी नही भुला सकें।
यह वो दौर था जब मुलायम प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचते-पहुंचते रह गए थे यादव कुल के एक नेता के पीएम नहीं बन पाने के पीछे यादव कुल के ही एक दूसरे नेता भी बड़ी वजह रहे और शायद दूसरे नेता भी मुलायम सिंह को पीएम नहीं बन पाने का मलाल हमेशा रहा और वे इस बात को बार-बार दौहराते हुए भी नजर आए और इसके पीछे की घटना की कहानी बेहद रोमांचक है।
मुलायम सिंह यादव के पीएम नहीं बनने के पीछे का कारण लालू प्रसाद यादव और शरद यादव का विरोध बताया गया था। मुलायम सिंह यादव ने कभी लालू प्रसाद को लेकर हमेशा अपनी नाराजगी बयान भी करी। 1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई तो संयुक्त मोर्चा की मिली-जुली सरकार बनने की तैयारी शुरु हुई। मुलायम सिंह यादव के नाम पर ज्यादातर लोग सहमत थे, प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम पर मुहर लग गई थी कहा तो ये भी जाता है की शपथ ग्रहण के लिए तारीख भी तय हो गई थी लेकिन ऐसा हो नही सका।
प्रधानमंत्री पद की शपथ ना ले पाने की वजह के तार जोड़े जाते है मुलायम सिंह की बहु यानी अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल से लालू प्रसाद अपनी बेटी की शादी अखिलेश यादव से करना चाहते थे पर एसा नही हुआ ऐसा नहीं था कि मुलायम सिंह इस शादी के खिलाफ थे, अखिलेश को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने डिंपल से शादी की इच्छा व्यक्त की मुलायम सिंह ने बेटे को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश नहीं माने और लालू प्रसाद, इस बात से बेहद नाराज थे, लालू प्रसाद के साथ शरद यादव ने भी मुलायम सिंह यादव के नाम को समर्थन नहीं दिया इसके बाद मुलायम सिंह यादव की जगह एचडी देवगौड़ा के नाम पर सहमति हुई और वे प्रधानमंत्री बने मुलायम को रक्षा मंत्रालय से ही संतुष्टि करनी पड़ी हालांकि फिर बाद के चुनावों में भी उनके बहुत मोके आए।
प्रधानमंत्री के पद पर एचडी देवगौड़ा एक साल भी पूरा नहीं कर सके और 324 दिन में उन्होनें इस्तीफा दे दिया। जब चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव पर सीबीआई की पकड़ मजबूत हो रही थी, लालू प्रसाद के पास 22 सांसद थे, जो देवगौड़ा की कुर्सी सरकाने के लिए बहुत थे। देवगौड़ा को कुर्सी से हात धोना पड़ा लेकिन उन्होंने चारा घोटाले की जांच को प्रभावित कर लालू यादव को सीबीआई से राहत नहीं दिलवाई।
पत्रकार और लेखक संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखा की 1997 में चारा घोटाला मामले में सीबीआई के पहले दौर की पूछताछ के बाद लालू ने तत्कालीन पीएम देवगौड़ा को फोन लगाकर फटकार लगाई थी।
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