India News (इंडिया न्यूज), Murshidabad-Bhangar Violence: पश्चिम बंगाल में इन दिनों नए वक्फ कानून को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। हिंसक विरोध प्रदर्शन की आग अब मुर्शिदाबाद से लेकर दक्षिण 24 परगना के भांगड़ तक पहुंच गई है। भांगड़ में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ हुई। इस दौरान उपद्रवियों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। उपद्रवियों ने पुलिस वैन को भी तोड़ दिया है। उपद्रवियों ने यहां आगजनी भी की है और कई बाइकों को आग के हवाले कर दिया है। वहीं, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 9 लोगों को गिरफ्तार किया है।
सोमवार को भांगड़ में हुई हिंसा और आगजनी के पीछे फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का नाम लिया जा रहा है। पुलिस सूत्रों और स्थानीय लोगों का कहना है कि अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने हिंसा की आग में घी डालने का काम किया। बताया जा रहा है कि सिद्दीकी ने यहां मुसलमानों को वक्फ कानून के खिलाफ भड़काया, जिसके चलते यहां हिंसा भड़क उठी। पुलिस के मुताबिक हिंसा फैलाने के आरोप में यहां गिरफ्तार किए गए दोनों लोग आईएसएफ के समर्थक हैं।
Murshidabad Bhangar Violence
शनिवार को मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के बाद अब वहां का माहौल थोड़ा शांत होने लगा है। इस बीच सोमवार को भांगर के सोनपुर गांव में आईएसएफ कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी।
आरोप है कि इस प्रदर्शन की अगुआई आईएसएफ विधायक नौशाद सिद्दीकी कर रहे थे, जो अब्बास सिद्दीकी के भाई हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि सिद्दीकी ने वक्फ कानून को ‘मुसलमानों पर हमला’ बताकर युवाओं को भड़काया। पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि कुछ संगठन, खासकर सिद्दीकी से जुड़े लोग घर-घर जाकर यह प्रचार कर रहे थे कि केंद्र सरकार इस कानून के जरिए मुसलमानों की संपत्ति छीन लेगी।
फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी लंबे समय से अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में हैं। अक्टूबर 2021 में सिद्दीकी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडाल में कथित तौर पर कुरान की प्रति रखने वाले लोगों का ‘सिर कलम’ कर दिया जाना चाहिए। सिद्दीकी ने दुर्गा पूजा जैसे हिंदू त्योहारों में भाग लेने के लिए मुस्लिम युवाओं की भी आलोचना की है। उन्होंने उनकी भागीदारी पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि अगर वे ऐसे त्योहारों के प्रति इतने इच्छुक हैं, तो उन्हें इस्लाम छोड़ देना चाहिए।
सिद्दीकी ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में एक धार्मिक सभा के दौरान यह बात कही। इस बयान की भाजपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने तीखी आलोचना की थी। पार्टी ने सांप्रदायिक तनाव भड़काने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की थी।
कभी सूफी संतों के लिए शांति का प्रतीक रहा फुरफुरा शरीफ अब सिद्दीकी के नेतृत्व में विवादों का गढ़ बन गया है। उनके भड़काऊ भाषणों ने न केवल बंगाल के सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर किया। सवाल यह है कि क्या सिद्दीकी की यह रणनीति सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए है, या इसके पीछे कोई बड़ा मकसद है? फिलहाल बंगाल के लोग शांति की तलाश में हैं, लेकिन सिद्दीकी जैसे नेताओं की हरकतें इसे मुश्किल बना रही हैं।