India News (इंडिया न्यूज), Naga Rebel Group: भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में चीन के कई नापाक इरादों को नार्थ-ईस्ट के विद्रोही संगठनों के साथ समझौता करके नाकाम कर दिया है। लेकिन फिर से चीन ने अपनी खुरापाती दिमाग से चाल चलनी शुरू कर दी है। दरअसल, एनएससीएन-आईएम (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा) ने नागा राजनीतिक मुद्दे पर गतिरोध को हल करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही एनएससीएन-आईएम के इसाक-मुइवा गुट ने एक बयान जारी कर भारत के खिलाफ हिंसक सशस्त्र प्रतिरोध फिर से शुरू करने की धमकी दी है। बता दें कि, साल 2015 में पीएम मोदी की मौजूदगी में फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर के बाद यह पहली बार है जब हिंसक सशस्त्र संघर्ष की धमकी दी गई है। समूह ने केंद्र पर 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते को लेकर विश्वासघात का आरोप लगाया है।
टी मुइवा ने बयान जारी किया
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एनएससीएन-आईएम के महासचिव टी मुइवा ने एक बयान जारी कर दावा किया कि केंद्र जानबूझकर ऐतिहासिक समझौते के प्रमुख प्रावधानों का सम्मान करने से इनकार कर रहा है, खासकर नागा राष्ट्रीय ध्वज और संविधान को मान्यता देने से। उन्होंने आगे कहा कि इन प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं करने से शांति प्रक्रिया बाधित होगी। उन्होंने कहा कि फ्रेमवर्क समझौते का पालन करने में केंद्र की विफलता से नए हिंसक टकराव हो सकते हैं। उन्होंने गतिरोध को हल करने के लिए तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का भी आह्वान किया। टी. मुइवा द्वारा जारी बयान में यह भी कहा गया है कि एनएससीएन नगाओं के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्र, ध्वज और संविधान की रक्षा के लिए कुछ भी करेगा।
चीनी सहयोगियों ने तैयार किया बयान
बता दें कि, एक सरकारी सूत्र ने बताया कि टी. मुइवा के नाम से यह बयान उनके दो चीन स्थित सहयोगियों फुंटिंग शिमरे और पामशिन मुइवा द्वारा तैयार किया गया है। सूत्र ने यह भी बताया कि 90 वर्षीय मुइवा की तबीयत ठीक नहीं है और वे सरकार के साथ हाल ही में हुई वार्ता में शामिल नहीं हुए। वे फिलहाल दीमापुर के हेब्रोन कैंप में अपने आवास पर हैं। गौरतलब है कि एनएससीएन पड़ोसी राज्यों असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल क्षेत्रों को मिलाकर 12 लाख नगाओं को एकजुट करके ग्रेटर नगालैंड या नगालिम के निर्माण की मांग कर रहा है। सशस्त्र विद्रोही समूह ने 1997 में केन्द्र सरकार के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
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