India News (इंडिया न्यूज), Chhagan Bhujbal Angry On Ajit Pawar : महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बन चुकी है। देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद दिया गया है, तो वहीं पर एकनाथ शिंदे और अजित पवार के डिप्टी सीएम का पद मिला है। वैसे सरकार बनाना बिल्कुल भी आसान नहीं था। शुरुआत में सीएम पद को लेकर जमकर खींचतान हुई है। खटपट और देरी के बीच बीते दिनों देवेंद्र फडणवीस सरकार में कैबिनेट का विस्तार हुआ। अब जब कैबिनेट का विस्तार हो गया है, फिर भी खटपट खत्म नहीं हुई है। इसी कड़ी में एनसीपी के नेता छगन भुजबल अपने ही पार्टी अध्यक्ष अजित पवार पर फायर हो गए हैं। छगन भुजबल तो साफ कह रहे हैं कि फडणवीस उन्हें मंत्री बनाना चाहते थे, मगर अजित पवार ही तैयार नहीं थे।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो महायुति 2.0 सरकार में मंत्री पद न मिलने पर एनसीपी के सीनियर नेता छगन भुजबल काफी नाराज हैं। उनके गुस्से का हाल ये है कि वो सीधे तौर पर अजित पवार हमला बोल रहे हैं। छगन भुजबल ने कहा कि, वह कोई खिलौना नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि मुख्यमंत्री मुझे कैबिनेट में शामिल करना चाहते थे और मैंने इसकी पुष्टि भी की थी। जिस तरह से बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना में एकनाथ शिंदे फैसला लेते हैं, उसी तरह एनसीपी में आखिरी फैसला अजित पवार ही लेते हैं।
अपनी ही पार्टी के मुखिया पर हमला बोलते हुए छगन भुजबल ने कहा, ‘मैं कोई खिलौना नहीं हूं, जिसके साथ वे अपनी मर्ज़ी से खेलें।’उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि पार्टी में किसी भी फैसले के लिए उनकी राय नहीं ली जाती है। उन्होंने कहा, ‘जब मैं दूसरी पार्टियों में था, तो मेरी बातों को तवज्जो दी जाती थी, चाहे वह शिवसेना हो, कांग्रेस हो या फिर शरद पवार की एनसीपी।’ दरअसल, छगन भुजबल अविभाजित एनसीपी के उन सीनियर नेताओं में से हैं, जिन्होंने अजित पवार के पार्टी छोड़ने पर उनका साथ दिया था। उन्होंने कहा था कि शरद पवार उनके राजनीतिक गुरु हैं। बावजूद इसके उन्होंने अजित पवार का साथ देने का फैसला लिया था।
जानकारी के लिए बता दें कि अजित पवार ही उन्हें एनसीपी में लाए थे और उन्हें महाराष्ट्र का अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद वह दो बार उपमुख्यमंत्री भी रहे। आगे उन्होंने कहा कि, एनसीपी को सिर्फ तीन नेता चला रहे हैं अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे। चुनावी टिकट देने से लेकर मंत्री और विभागों के बारे में फैसला लेने तक, हर चीज़ में हमारा कोई योगदान नहीं है।
छगन भुजबल ने कहा कि, मंत्री पद ना मिलना उतना बड़ा मुद्दा नहीं है, जितना कि उन्हें नजरअंदाज किया जाना है। उनके समर्थकों ने उन्हें एनसीपी (अजित गुट) छोड़ने की मांग की है। छगन भुजबल ओबीसी नेता हैं। फिलहाल, वह अपने समर्थकों से राय-विचार कर रहे हैं। वह जल्द ही अपने कदम से सबको वाकिफ करेंगे। सूत्रों का कहना है कि छगन भुजबल अजित गुट की एनसीपी से खुद की राह अलग कर सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि यह कब होता है।
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