India News (इंडिया न्यूज), NEET UG NET paper leak case: बिहार का पटना शहर जो कल तक गोलघर और गांधी मैदान के लिए मशहूर था, लेकिन अब यह बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में NEET पेपर लीक की नई राजधानी के तौर पर मशहूर हो गया है। पटना कभी हुनरमंदों की फैक्ट्री के तौर पर मशहूर था, लेकिन पेपर लीक कांड ने हुनर की इस पहचान को मिटा दिया है। पटना ही क्यों, झारखंड का हजारीबाग पहाड़ियों और गुफाओं के लिए जाना जाता है, लेकिन कौन जानता था कि एक दिन यह शहर पेपर लीक का नया लैंडमार्क बन जाएगा।
पेपर लीक का सच न जाने कितनी गुफाओं में दफन है, जिसकी जांच एजेंसियां तलाश कर रही हैं। यहां तक कि प्रिंसिपल की गिरफ्तारी भी हो रही है। यानी अभी बड़ा खुलासा होना बाकी है। इसी तरह गुजरात में आज पेपर लीक का गोधरा कांड चर्चा में है, तो महाराष्ट्र के लातूर में भी सीबीआई की छापेमारी से भूचाल है। यानी जैसे-जैसे NEET पेपर लीक की जांच आगे बढ़ रही है, इसका देशव्यापी गठजोड़ उजागर होता जा रहा है। इस कांड में शामिल राजनेता, नौकरशाह, पूंजीपति, कारोबारी, शिक्षा माफिया, शिक्षित और अशिक्षित सभी एक ही रंग में रंगे नजर आ रहे हैं। पेपर लीक कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इसके तार उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ माफिया तंत्र है तो दूसरी तरफ आक्रोशित प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी।
नीट-यूजी पेपर लीक को लेकर बिहार और झारखंड के बाद गुजरात और महाराष्ट्र में भी छापेमारी हो रही है। यानी पटना और हजारीबाग ही नहीं, बल्कि गोधरा और लातूर भी नीट पेपर लीक के सबसे बड़े केंद्र बनकर उभरे हैं। परीक्षा केंद्रों का चयन सवालों के घेरे में है। गुजरात के चार जिलों में छापेमारी हो रही है। ये चार जिले हैं- गोधरा, खेड़ा, आणंद और अहमदाबाद, जबकि महाराष्ट्र के लातूर तक सीबीआई पहुंच चुकी है। यानी पेपर लीक की घटनाएं देशव्यापी समस्या बन चुकी हैं। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि और कितने राज्य, शहर, स्कूल और प्रिंसिपल के नाम सामने आएंगे।
इस देशव्यापी समस्या पर राजनीतिक दलों के भी अपने-अपने तर्क हैं। यहां हर राजनीतिक दल अपने विरोधियों के चेहरे से नकाब उतारने का अभियान चलाना चाहता है। यही राजनीति है। इसलिए विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर है। पेपर लीक से प्रभावित छात्रों के सड़क पर प्रदर्शन से लेकर संसद सत्र तक हंगामा हो रहा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा की बजाय पेपर लीक पर चर्चा की मांग की गई। विपक्ष सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा में शामिल होने की मांग कर रहा है।
वहीं, विपक्ष का कहना है कि सिर्फ परीक्षा ही नहीं बल्कि पेपर पर भी चर्चा जरूरी है। सरकारों को सतर्क रहने की जरूरत इतिहास पर नजर डालें तो चाहे कोई भी पार्टी सत्ता में रही हो, चाहे कोई भी राजनीतिक विचारधारा सत्ता में रही हो, न तो नकल रुकी है और न ही पेपर लीक। चाहे 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा में नकल हो या फिर नीट और नेट जैसी परीक्षाओं में पेपर लीक हो- दोनों ही स्थितियों में प्रतिभाशाली छात्र प्रभावित होते हैं। अगर किसी सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं में नकल को नजरअंदाज करने का अपराध किया है तो प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक पर सरकार का ढीला रवैया अपनाने का अपराध भी उससे कम नहीं है। इस मोर्चे पर दोनों एक जैसे हैं।
बहरहाल, NEET और NET पेपर लीक मामला सामने आने के बाद मौजूदा नई सरकार आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई करने और उच्च स्तरीय समिति बनाने से लेकर देशभर के छात्रों और अभिभावकों से सुझाव मांगने तक का अभियान चलाने में जुटी है। सरकार NTA के डीजी को बदलकर हर संभव कार्रवाई करने और निष्पक्ष रवैया दिखाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके बाद भी अगर छात्रों का भरोसा नहीं जीता जा सका तो सिस्टम को समझना होगा कि यह राष्ट्रीय समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है और इसका समाधान कितना जरूरी है?
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