इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
NETFLIX Story: कोई भी व्यापार शुरू करने से पहले हर किसी के दिमाग में यह जरूर होता है कि इसे कितना आगे तक लेकर जाना है। चाहे वो आनलाइन व्यापार हो या आफलाइन। जरा सोचिए जब व्यापार आगे बढ़ने लगता है तो उसी में आपको पछाड़ा जा रहा हो तो आप कैसा महसूस करेंगे। अब यही हालात देश में नेटफ्लिक्स के हो रहे हैं। भारतीयों को ओटीटी प्लेटफॉर्म की लत लगाने वाला नेटफ्लिक्स घटते यूजर्स और बढते काम्पिटिटर को लेकर ज्यादा परेशान है।
बता दें कि दुनिया के 195 देशों में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कंपनी नेटफ्लिक्स को भारत में मन-मुताबिक सफलता नहीं मिल पा रही है। कंपनी भारतीयों की पहली पसंद बनने के लिए ना जाने कितने तरह के जतन कर रही है, जिसके चलते हाल ही में कंपनी ने भारत में अपना सब्सक्रिप्शन प्राइस भी कम कर दिया है। आज के इस लेख में हम जानेंगे दुनिया भर में 151 मिलियन सब्सक्राइबर वाली नेटफ्लिक्स कंपनी के ब्रांड बनने की कहानी। (Netflix success story)
एक समय की बात है कि नेटफ्लिक्स कंपनी के को-सीईओ और को-फाउंडर रीड हैशटिंग मित्रों के साथ जिम कर रहे थे। इसी समय सभी मित्र आपस में बिजनेस को लेकर बातचीत करने लगे। बातचीत के दौरान उनके दिमाग में एक मूवी प्लेटफॉर्म बनाने का आइडिया आया, जहां लोग एक बार पैसा देकर सालाना सब्सक्रिप्शन लेने के बाद अपने पसंद की फिल्म साल भर देख सकें। यह आइडिया मार्क रैंडॉल्फ के सभी मित्रों को पसंद आया। इसके बाद शुरू हुई नेटफ्लिक्स बनने की कहानी।
साल 1997 की बात है। मार्क रैंडॉल्फ और रीड हास्टिंग्स नाम के दो शख्स ने मिलकर एक डीवीडी दुकान शुरू की। उस समय फिल्म देखना इतना आसान नहीं था। लोगों को अपने पसंद की फिल्म देखने के लिए डीवीडी खरीदकर या किराए पर लाना होता था। समय की मांग को समझते हुए मार्क रैंडॉल्फ और रीड हास्टिंग्स ने मूवी रेंटल सर्विस बिजनेस शुरू करने का फैसला किया।
2004 तक नेटफ्लिक्स का सलाना रेवेन्यू बढ़कर 3.73 हजार करोड़ रुपए हो गया था। यहां से नेटफ्लिक्स की सफलता की कहानी शुरू हुई, जिसके बाद कंपनी की पॉपुलैरिटी और सब्सक्राइबर्स की संख्या काफी तेजी से बढ़ी। 2005 तक दुनिया भर में करीब 50 लाख लोगों ने इसे सब्सक्राइब किया था।
2007 में पहली बार नेटफ्लिक्स ने अपने ऐप पर वीडियो स्ट्रीमिंग की शुरूआत की थी। ऐप पर वाच नाऊ का आॅप्शन भी था। अब लोग बिना किसी डीवीडी के सीधे अपने पसंद की फिल्म देख सकते थे। यह कंपनी की सफलता के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। कंपनी ने फिर ब्लू रे, एक्सबॉक्स 360 के साथ समझौता किया। अब ये कंपनी अपना कंटेंट नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर सकती थी।
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