14 के बजाए सात दिन का होगा आइसोलेशन,
बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले मरीजों को करना होगा नियमों का पालन
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
New Covid-19 Guidelines देश में कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है जिसके मुताबिक बिना किसी लक्षण या हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों को अब अपने घर पर ही 14 दिन के बजाय सिर्फ सात दिन आइसोलेट या क्वारेंटाइन रहना होगा। नई गाइडलाइन में आक्सीजन सैचुरेशन का पैमाना भी 94 फीसदी से बदलकर 93 फीसदी कर दिया गया है।
नई गाइडलाइन के अनुसार आइसोलेशन के सात दिनों की शुरूआत कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के दिन से मानी जाएगी। आइसोलेशन के दौरान अगर मरीज को लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आए तो उसे आठवें दिन से कोरोना निगेटिव माना जाएगा। इसके लिए कोरोना की जांच जरूरी नहीं होगी।
दरअसल, देश में लगातार कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमितों की तादाद बढ़ती जा रही है। बीते कल गुरुवार को रोज मिलने वाले कोरोना की संख्या का आंकड़ा एक लाख पार कर गया। इनमें से करीब 60 फीसदी मरीज ओमिक्रॉन के हैं। ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं हैं, लेकिन यह डेल्टा के मुकाबले 30 गुना तक तेजी से फैलता है।
एसिम्पटोमेटिक मरीज ऐसे लोग को माना जाएगा जिनकी रिपोर्ट तो कोरोना पॉजिटिव आए, लेकिन उनमें कोरोना का कोई लक्षण न हो। वहीं, कमरे की सामान्य हवा में आॅक्सीजन सैचुरेशन 93फीसदी से अधिक हो। इससे पहले आॅक्सीजन सैचुरेशन का यह पैमाना 94 फीसदी था।
ऐसे मरीजों को हल्के लक्षण वाला माना जाएगा जिनमें बुखार के साथ या बुखार के बिना ऊपरी श्वसन तंत्र, यानी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण हों, लेकिन उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। उनका आॅक्सीजन सैचुरेशन 93 फीसदी से ज्यादा हो।
अगर डॉक्टर लिखित तौर पर कह दें कि मरीज एसिम्पटोमेटिक है या फिर इसमें हल्के लक्षण हैं तो ऐसे मरीजों को होम आइसोलेट किया जाएगा। ऐसे लोगों को होम आइसोलेट किया जाएगा जिनके घर पर मरीज के साथ-साथ उनके संपर्क में आए परिवार को भी क्वारेंटाइन करने की व्यवस्था हो।
मरीज की देखभाल के लिए एक व्यक्ति 24 घंटे रहना चाहिए। देखभाल करने वाला और डॉक्टर एक-दूसरे के संपर्क में तब तक रहेंगे, जब तक मरीज का आइसोलेशन खत्म नहीं हो जाता। एक कंट्रोल रूम का नंबर परिवार के पास रहेगा और समय-समय पर आइसोलेटेड मरीज को गाइड किया जाएगा।
60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग संक्रमित और गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को डॉक्टर की अनुमति के बाद ही होम आइसोलेट किया जाएगा। एचआईवी या कैंसर से पीड़ित मरीजों को घर पर आइसोलेट नहीं किया जाता है, लेकिन अगर डॉक्टर इलाज करने के बाद होम आइसोलेशन की अनुमित देते हैं तो ऐसा किया जा सकता है।
घर पर आइसोलेट मरीज को परिवार के बाकी सदस्यों से दूर रहना होगा। बुजुर्गों और गंभीर रोग से पीड़ित जैसे-बीपी, डायबिटीज और कैंसर से पीड़ित लोगों से दूरी बनाकर रखनी होगी। जिस कमरे को स्वास्थ्य विभाग ने मरीज के लिए चुना है, उसी कमरे में आइसोलेट रहना होगा। बार-बार कमरा नहीं बदलें।
आइसोलेशन वाला कमरा खुला और हवादार होना चाहिए, ताकि ताजी हवा अंदर-बाहर हो सके। मरीज को अपने कमरे की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए। आइसोलेट रहने वाले मरीज को कमरे के अंदर भी ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना होगा। आठ घंटे के बाद अगर मास्क गीला या गंदा हो जाता है तो उसे बदल देना चाहिए। मरीज की देखभाल करने वाले को और मरीज दोनों को एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।
मास्क को फेंकने से पहले उसे टुकड़ों में काट लें और कम से कम 72 घंटे के लिए पेपर बैग में डाल दें। इसके बाद मास्क को फेंक दें। मरीज को आराम करना चाहिए और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए। सावधानी बरतें और बार-बार हाथों को धोएं। कम से कम 40 सेकेंड तक साबुन से हाथ को धोएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। मरीज को बर्तन या फिर अन्य सामान परिवार के किसी भी सदस्य से शेयर नहीं करना होगा।
दरवाजा, स्विच बोर्ड, मास्क और दस्ताने जैसी उपयोगी चीजों को देखभाल करने वाले व्यक्ति या मरीज को साफ करते रहना चाहिए। मरीज को अपना पल्स और आॅक्सीजन लेवल चेक करते रहना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति अपने शरीर का तापमान हर रोज चेक करेगा और अगर तबीयत बिगड़ती है तो इस बात की रिपोर्ट तुरंत डॉक्टर और कंट्रोल रूम को करनी होगी।
मरीज की देखभाल करने वाले व्यक्ति को ट्रिपल लेयर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। जब भी हाथ धोएं तो कम से कम साबुन और पानी का 40 सेकेंड का इस्तेमाल करें। अगर साबुन न हो तो हैंड वाश का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। मरीज की सांस और लार जैसी चीजों के सीधे संपर्क में आने से बचें। मरीज की देखभाल करते समय डिस्पोजेबल दस्ताने का इस्तेमाल करें।
मरीज के बर्तन, पानी की बोतल, तौलिया और बिस्तर जैसी चीजों को शेयर न करें। मरीज आइसोलेशन के दौरान डॉक्टर से सीधे संपर्क में रहेगा और तबीयत बिगड़ने पर तुरंत रिपोर्ट करेगा। अगर मरीज को पहले से कोई बीमारी है तो वो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही अपनी दवाइयां ले सकता है। डॉक्टर की सलाह पर मरीज गरारे कर सकते हैं और दिन में 3 बार भाप भी ले सकते हैं।
अगर तीन से ज्यादा 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहे। सांस लेने में दिक्कत हो। एक घंटे में कम से कम तीन बार मरीज का आक्सीजन सैचुरेशन 93 फीसदी से कम आए। मरीज एक मिनट में 24 बार से ज्यादा सांस ले। छाती में लगातार दर्द या दबाव महसूस हो। मरीज को भ्रम होने लगे और उसे उठने में दिक्कत होने लगे। आइसोलेशन के दौरान अगर 3 दिन तक लगातार बुखार नहीं आता है तो मरीज सात दिन में कोरोना निगेटिव माना जाएगा। इस तरह बिना लक्षण वाले मरीजों को सात दिनों में होम आइसोलेशन से छुट्टी मिल रही है। सात दिन के बाद होम आइसोलेटेड मरीज को किसी भी तरह का टेस्ट नहीं कराना पड़ेगा।
Also Read : What is Special Protection Group जानिए क्या है एसपीजी, कब हुई इसकी शुरुआत
India News (इंडिया न्यूज), Himachal Weather Update: हिमाचल प्रदेश में शीतलहर और घने कोहरे के…
India News (इंडिया न्यूज़),UP Weather: प्रदेशभर में कड़ाके की सर्दी का कहर जारी है। जहां…
Mahabharat Kichaka Story: महाभारत की कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है। इस दौरान पांडवों को…
India News (इंडिया न्यूज), Bihar Weather Update: बिहार में पिछले लगभग 15 दिनों से मौसम…
पंजाब के गुरदासपुर जिले में एक पुलिस चौकी पर कथित रूप से हमला करने के…
इस हमले ने मेट्रो सुरक्षा को लेकर चिंताओं को फिर से जगा दिया है। गवर्नर…