India News (इंडिया न्यूज़), New Parliament Inauguration, नई दिल्ली:देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। विपक्ष ने इस समारोह का वहिष्कार किया है। इस कार्यक्रम में विपक्ष के बहुत कम नेता दिखें। ऐसे में इसे लेकर विपक्ष और पक्ष दो़नों की खेमें से बयान बाजी जारी है तो चलिए जानते हैं किसने क्या कहा?
“नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा होना चाहिए था क्योंकि राष्ट्रपति संविधान प्रमुख हैं। भाजपा ने ऐसा न करके न सिर्फ राष्ट्रपति का अपमान किया है बल्कि संविधान का भी अपमान किया है। भाजपा ने साबित कर दिया कि वे दलित विरोधी और पिछड़ा विरोधी मानसिकता की है।”
“मैंने सुबह का आयोजन देखा। मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे ले जा रहे हैं? क्या यह आयोजन सीमित लोगों के लिए ही था?”
“प्रधानमंत्री ने सभी को न्योता दिया था लेकिन विपक्ष को कुछ भी अच्छा करो तो वह बुरा लगता है। जो लोग ताबूत के साथ तुलना(नए संसद भवन की) कर रहे हैं उन्हें जनता जवाब देगी।”
“उनका(RJD) कोई स्टैंड ही नहीं है। ताबूत क्यों कह रहे हैं वे, कोई और मिसाल भी दे सकते थे। इसमें भी कोई एंगल लाते हैं। कभी सेक्युलर बोलते हैं कभी भाजपा से निकले हुए नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री बना लेते हैं।”
“हमारा सौभाग्य है कि हमने पुराने संसद भवन में भी काम किया और अब नए संसद भवन में भी काम करेंगे। कांग्रेस पार्टी को देश में जो भी अच्छा होता है वह पसंद नहीं आता। यह लोकतंत्र का मंदिर है।”
“आज भले ही सभी दलों के लोगों ने भवन बहिष्कार किया हो लेकिन कल सदन की कार्यवाही तो वहीं चलने वाली है। क्या राष्ट्रीय जनता दल ने यह तय कर लिया है कि वे नए संसद भवन का स्थायी रूप से बहिष्कार करेंगे? क्या वे लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे? ताबूत का चित्र दिखाना इससे ज़्यादा अपमानजनक कुछ नहीं है।”
“बिना विपक्ष की उपस्थिति के नए संसद भवन का उद्घाटन संपन्न नहीं हो सकता, इसका मतलब है कि देश में लोकतंत्र नहीं है। ये एक अधूरा कार्यक्रम है। 3 दिन पहले हमें व्हाट्सएप पर निमंत्रण भेजा गया। वे फोन पर विपक्ष के नेताओं से संपर्क कर सकते थे… पुराने संसद भवन से हमारी यादें जुड़ी हुई हैं। हम सभी पुराने संसद भवन से प्यार करते हैं, वह भारत की आज़ादी का वास्तविक इतिहास है। लेकिन अब हमें नए संसद भवन में जाना होगा।”
“आज नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया है। सभी धर्म के लोगों ने प्रार्थना की। मैंने बौद्ध धर्म की परंपरा की प्रार्थना की। सभी को एकजुट होकर देश के विकास के लिए काम करना चाहिए और राजनीति को परे रखना चाहिए।”
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