India News(इंडिया न्यूज), Jharkhand Politics: लगता है उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी NDA में कुछ अच्छा नहीं चल रहा। ऐसे में सबके बीच सवाल है कि क्या सूबे के मुखिया नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कुछ बड़ा खेला करने वाले है। गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए के तीसरे सबसे बड़े घटक दल के रूप में नीतीश की अगुवाई वाली पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) सबसे बड़ा कंधा बनी थी। लोकसभा में जेडीयू की पार्टी से केवल 12 सांसद हैं। हालांकि चुनाव के वक्त से ही नीतीश बाबू को लगा था कि इस बार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाएगा। लेकिन उनके उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया जब इस बार के आम बजट में बिहार को भगवान बुद्ध की नगरी में बनेगा महाबोधि कॉरिडोर के नाम का केवल लॉलीपॉप नीतीश बाबू का थमा दिया गया। हालांकि बजट में राज्य के लिए केंद्र की ओर से अच्छा-खासा पैकेज दिया गया है। इससे इतना तय हो गया कि बीजेपी ने चीत भी अपना कर लिया और पट भी। लेकिन अब बिहार में नीतीश को देख कर अटकलों का बाजार गर्म हो रहा है इस बार क्या अब नीतीश कुछ बड़ा झटका देने की तैयारी में है। चलिए बताते हैं क्यों?
गौरतलब हो कि अब विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही। बिहार में चुनाव अगले साल 2025 में होगा लेकिन उससे पहले झारखंड में इसका तगड़ा मुकाबला होने वाला है। पड़ोसी राज्या झारखंड में इस साल के अंत में चुनाव होगा। पार्टी की ओर से वहां पर मजबूती से लड़ने के लिए पूरी तैयारी हो रही है। जान लें कि जून के आखिरी हफ्ते में जो दिल्ली में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी उसमें इस आशय का प्रस्ताव पारित हो चुका है। अब पार्टी का टारगेट झारखंड है। ऐसे में गरज से सियासी दांव पार्टी चल रहा है।
आपको बता दें कि झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी सीट के निर्दलीय विधायक रहे सरयू राय ने रविवार को जनता दल यूनाइटेड (JDU) का हाथ थाम लिया था। आपको बता दें कि पटना में जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई है। जान लें कि सरयू राय भारतीय जन मोर्चा नाम की एक पार्टी को चलाते हैं। संभावना है कि आने वाले दिनों में ये पार्टी जेडीयू में औपचारिक तौर मिल जाएगी। जिसका असर आने वाले चुनाव में भी पड़ सकता है।
सरयू राय इनके बारे में बहुत से लोग अब जानना चाहते हैं। तो उनकी राजनीति की जड़ें RSS और बीजेपी से जुड़ी है। ये कहना गलत नहीं होगा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘पाठशाला’ से निकले है। सरयू राय साल 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले तक झारखंड-बिहार में भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे। राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे। बाद में दोनों के बीच खटास बढ़ी और गहरे मतभेद के कारण रघुवर दास जी ने सरयू राय का विधानसभा टिकट कटवा दिया। लेकिन बाद में जब सरयू राय भाजपा से बगावत पर उतरे तो रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरे और उन्हें मात दी।
बीते रविवार को जदयू में शामिल होने पर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”जदयू परिवार में आपका स्वागत है। झारखंड के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री, जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय जी को जदयू की सदस्यता दिलाई। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के साथ उनका कई दशकों से व्यक्तिगत संबंध रहा है। मुझे विश्वास है, सरयू राय जी के आने से झारखंड में पार्टी को मजबूती मिलेगी’। यहां गौर करने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार की पार्टी का बीते एक-डेढ़ दशक में झारखंड में जनाधार लगातार कम होता रहा है। इसलिए सरयू राय झारखंड में जदयू की खोई जमीन को फिर से पाने में एक बहुत बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं।
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