इंडिया न्यूज, नई दिल्ली,(Nitish Kumar On His Way) : नीतीश कुमार ने जाते-जाते भाजपा को दिए तीन बड़े संदेश दिए हैं। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बार उनके साथ राजद, कांग्रेस, वामपंथी दल हैं।
मंगलवार तक नीतीश एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री थे। नीतीश के पाला बदलने से सियासी गलियारे में चर्चा काफी तेज है। वहीं नीतीश जाते-जाते भाजपा को बड़ा संदेश दिया है। ऐसे में अब भाजपा पर निर्भर करता है कि वह आगे किस तरह से अपना रणनीति बनाती है।
बिहार की राजनीति समझने के लिए हमने बिहार के वरिष्ठ पत्रकार मोहित कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार 2013 से ही असहज हैं। जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया था।
उसके बाद 2015 में एक बार फिर से नीतीश कुमार राजद, कांग्रेस के महागठबंधन का हिस्सा बन गए। नीतीश का यह गठबंधन ढाई साल तक चला और 2017 में उन्होंने फिर से महागठबंधन का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। अब दुबारा फिर नीतीश कुमार वापस महागठबंधन में चले गए हैं। नीतीश ने इससे भाजपा को तीन बड़े संदेश दिए हैं।
भाजपा के हाथ से जदयू ने एक झटके में एक राज्य छीन लिया। 2014 के बाद से भाजपा का जादू पूरे देश में छाने लगा है। ऐसे में भाजपा को लगता है कि वह अकेले दम पर देश के सभी राज्यों में जीत हासिल कर सकती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बिहार में दिया गया बयान इसका बड़ा सबूत है।
उनके इस बायान के बाद अब एनडीए में शामिल कई पार्टियां भाजपा का साथ छोड़ने की तैयारी कर रही है। नीतीश कुमार ने गठबंधन तोड़कर भाजपा को यही संदेश दिया है कि वह जिस तरह से बाकी सभी राजनीतिक दलों को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। वह गलत है। किसी भी पार्टी को भाजपा कमजोर न समझे।
लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेना और अब जदयू। ये तीनों पार्टियां एक समय में भाजपा के काफी करीब हुआ करती थी। लेकिन अब ये पार्टियां भाजपा से दूर हो गई हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी में फूट पड़ गई। इसका आरोप भाजपा पर लगा।
शिवसेना में भी दो गुट बन चुके हैं और इसका भी आरोप भाजपा पर ही लगा। अब जदयू ने आरोप लगाया है कि भाजपा उनकी पार्टी तोड़ने में जुटी है। भाजपा कुछ करती, इससे पहले नीतीश कुमार ने ही बड़ा खेल कर दिया। नीतीश ने अपने इस दांव से भाजपा को सबक दिया है कि अपनों के साथ छलावा नहीं करना चाहिए, नहीं तो अपने भी धोखा दे सकते हैं।
असम, गोवा, मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कई विधायक एक झटके में भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने अपनी सरकार बना ली। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के विधायक टूटकर भाजपा में आए और भाजपा को सत्ता मिल गई। इसी तरह महाराष्ट्र में भी हुआ।
शिवसेना के कई विधायकों ने उद्धव से अलग होकर एक नया गुट बना लिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। यहां तक तो भाजपा के पक्ष में राजनीति हुई, लेकिन बिहार में भाजपा का दांव ही जदयू ने खेल दिया। कल तक राजद को भला-बुरा कहने वाली जदयू आज उनके साथ है। दोनों ने मिलकर सरकार भी बना ली। नीतीश ने अपने इस दांव से भाजपा को ये भी बता दिया कि राजनीति में सब कुछ संभव है।
भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को पहले ही इसका एहसास हो गया था। यही कारण है कि पार्टी ने पहले से ही जदयू से अलग होकर अपनी लड़ाई लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। अभी भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2024 लोकसभा चुनाव है। इसमें भाजपा अकेले दम पर उतरने की कोशिश करेगी और 2014, 2019 वाला अपना जादू कायम रखने की कोशिश करेगी।
भाजपा कुछ छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन भी कर सकती है। इसके अलावा पार्टी के शीर्ष नेताओं ने स्थानीय पदाधिकारियों को उन इलाकों पर फोकस करने के लिए कहा जहां वह जदयू के सहारे मैदान में उतरते थे। भाजपा अब अकेले ही पूरे बिहार में जीत हासिल करने की कोशिश करेगी और इसके लिए अपनी रणनीति बनाने शुरू भी कर दी है। अब यह समय ही बताएगा कि बिहार की राजनीति में भाजपा कितना सफल हो पाती है।
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