होम / जोशीमठ ही नहीं, उत्तराखण्ड के इन हिमालयी शहरों-कस्बों के भी 'डूबने' का खतरा

जोशीमठ ही नहीं, उत्तराखण्ड के इन हिमालयी शहरों-कस्बों के भी 'डूबने' का खतरा

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : January 14, 2023, 9:34 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : उत्तराखंड के जोशीमठ के ‘डूबने’ से जुड़ी चिंता के बढ़ने के साथ ही अब तक 185 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। जोखिम भरे घरों में रह रहे शेष अन्य परिवारों के विस्थापन का काम लगातार जारी है। विस्थापन की इस प्रक्रिया के बीच दरार पड़ने से रहने के लिहाज से असुरक्षित हुई इमारतों को गिराने का काम भी चल रहा है। सबसे गंभीर बात तो यह है कि विशेषज्ञों ने कहा कि जोशीमठ उत्तराखंड का एकमात्र हिमालयी शहर नहीं है, जिसके डूबने का खतरा हर गुजरते दिन के साथ बढ़ रहा है। मालूम हो, 1970 के दशक में ही जोशीमठ के अस्तित्व पर आज मंडरा रहे खतरे को लेकर आगाह किया गया था। तब मिश्रा समिति की रिपोर्ट ने राज्य सरकार से भू-धंसाव वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर सावधानी बरतने को कहा था। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि जोशीमठ महज 12 दिनों में तेज गति से 5.4 सेमी और धंस गया है।

जोशीमठ के अलावा यहां डूबने के जोखिम वाले अन्य स्थान

हालांकि पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में जोशीमठ एकमात्र ऐसा शहर नहीं है, जिसके धंसने का खतरा है। नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय में भूविज्ञान के प्रोफेसर राजीव उपाध्याय के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरी भाग में स्थित गांव और कस्बें हिमालय के भीतर प्रमुख सक्रिय थ्रस्ट जोन के पास स्थित हैं। क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के कारण ये बहुत ज्यादा संवेदनशील हो चुके हैं। वह कहते हैं, ‘कई बस्तियां पुराने भूस्खलन के मलबे पर बसी हैं। ये इलाके या क्षेत्र पहले से ही प्राकृतिक तनाव झेल रहे हैं ऊपर से मानव निर्मित निर्माण ने क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को और नाजुक बना दिया है। इन इलाकों में यदि सीमा से अधिक मशीनी काम किया जाएगा, तो इनके नीचे की जमीन खिसकने की आशंका और बढ़ जाएगी। पूरा क्षेत्र भू-धंसाव की चपेट में है।’ भूवैज्ञानिकों की मानें तो क्षेत्र और हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र बेहद जटिल है। ऐसे में हिमालयी क्षेत्र के गहन और व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन की बेहद जरूरत है। जानकारी दें, उत्तराखंड में लगभग 155 बिलियन रुपये की संयुक्त अनुमानित लागत वाली चार जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। यही वजह है कि जोशीमठ के अलावा कई अन्य शहरों के भी डूब जाने का खतरा बढ़ा है।

टिहरी

आपको बता दें, टिहरी गढ़वाल जिला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। साथ ही भारत का सबसे ऊंचा टिहरी बांध और इससे जुड़ी सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना भी यहां स्थित है। यहाँ जिले के कुछ घरों में दरार पड़ने की सूचना मिली थी। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने बुधवार को सरकार से कार्रवाई करने का आग्रह किया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, टिहरी झील से सटे गांवों में भूस्खलन और चंबा सुरंग के आसपास के घरों में दरारें आने की सूचना मिली थी।

माणा

जानकारी दें, चीन सीमा से पहले माणा अंतिम भारतीय गांव के रूप में जाना जाता है, जो इसी वजह से एक महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान भी है। इसे हिंदू तीर्थ स्थलों के बीच संपर्क के लिए लिहाज से एक परियोजना के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग से भी जोड़ा जा रहा है। इस परियोजना पर पर चिंता जताते हुए पर्यावरण समूहों ने कहा है कि वन्य जीवन समृद्ध क्षेत्र में पेड़ों की कटाई से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाएगा। मालूम हो, सेना प्रमुख मनोज पांडे ने गुरुवार को कहा कि भारत ने जोशीमठ के आसपास के क्षेत्रों से कुछ सैनिकों को स्थानांतरित कर दिया है। पांडे ने कहा कि जोशीमठ-माणा सड़क में मामूली दरारें आई थीं, जिसके बाद हेलंग बाईपास पर निर्माण कार्य अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।

धरासु

ज्ञात हो, ब्लूमबर्ग के अनुसार यह पहाड़ी शहर में एक महत्वपूर्ण लैंडिंग ग्राउंड है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैनिकों और सैन्य सामग्री को चीन से विवादित हिमालयी सीमा पर आवाजाही के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

हर्षिल

मालूम हो, यह शहर सैन्य अभियानों के साथ-साथ हिमालयी तीर्थयात्रा मार्ग के लिए एक और महत्वपूर्ण बिंदु है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2013 में अचानक आई बाढ़ के दौरान यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था और हर्षिल प्रभावितों को सुरक्षित निकासी के प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण रसद केंद्र बन कर उभरा था।

गौचर

जानकारी दें, जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और भारत-चीन सीमा से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गौचर। यह एक महत्वपूर्ण नागरिक और सैन्य अड्डा है, जहां 2013 में भारतीय वायु सेना के बचाव और राहत प्रयासों का एक बड़ा अभियान चलाया गया था।

पिथोरागढ़

पिथोरागढ़ भी एक अन्य प्रमुख सैन्य और नागरिक केंद्र होने के साथ-साथ एक बड़ा प्रशासनिक केंद्र भी है। इसमें एक हवाई पट्टी भी है, जो बड़े विमानों को समायोजित कर सकती है और इसीलिए सेना के लिए भी महत्वपूर्ण है।

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT