इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Uttar Pradesh के मुजफ्फनगर में Kisan Mahapanchayat के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने Haryana की तरफ रूख किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि 7 सितंबर को करनाल में महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। जिसमें muzaffanagar की तरह ही पूरे देश से किसान भाई हिस्सा लेने के लिए जुटेंगे। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही आगे की रणनीति भी तैयार होगी। संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 September को भारत बंद का भी ऐलान किया है। इससे पहले मोर्चे ने 27 September को भारत बंद का ऐलान किया था। August 28 को Karnal के घरौंडा में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर police ने लाठीचार्ज किया था। इससे कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आई थीं। किसानों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के बाद किसानों ने कुछ मांगें रखी थीं, जिन्हें पूरा करने के लिए 6 सितंबर तक का वक्त दिया गया था। किसानों की मांगों में एक IAS officer Ayush Sinha को बर्खास्त करने की बात भी शामिल है। August 28 को आयुष सिन्हा का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह लाठीचार्ज से पहले सिपाहियों को किसानों का सिर फोड़ देने के निर्देश देते नजर आए थे।
28 अगस्त को Haryana Police ने करनाल में एक हाईवे को बंद करने वाले किसानों पर लाठियां बरसाई थीं। इस लाठीचार्ज में लगभग 10 लोग घायल हुए थे। किसानों की मांग है कि आयुष सिन्हा को बर्खास्त किया जाए और उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। हरियाणा सरकार ने SDM के पद से हटाकर आयुष सिन्हा का ट्रांसफर राजधानी चंडीगढ़ में एक विभाग में कर दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिन्हा का बचाव किया था और कहा था कि सख्त कार्रवाई जरूरी थी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था, “हालांकि अफसर का शब्दों का चयन ठीक नहीं था लेकिन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती जरूरी थी। किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा’ ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री द्वारा सिन्हा के समर्थन की आलोचना की है। Muzaffarnagar की विशाल रैली भारत के कई हिस्सों में किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कुछ कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में रविवार को यूपी के Muzaffarnagar में एक Kisan Rally आयोजित हुई जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। इस रैली के दौरान कानून-व्यवस्था की सुरक्षा के लिए आठ हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे।
टिकैत ने कहा, “ऐसी जनसभाएं देशभर में आयोजित की जाएंगी। हमें देश को बिकने से बचाना है। किसानों, मजदूरों और युवाओं को जीने का अधिकार होना चाहिए। Uttar Pradesh में Bharatiya Janata Party की सरकार है और राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी नेताओं का आरोप है किसान नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं। यूपी बीजेपी के प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने कहा, “पंजाब और हरियाणा से राजनीतिक कार्यकर्ता इस रैली के लिए लाए गए थे। वे किसानों को अपने राजीनितक हितों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस के मुताबिक मुजफ्फरनगर की रैली में पांच लाख से ज्यादा लोग आए थे। भारत में किसानों का आंदोलन पिछले लगभग आठ महीनों से जारी है। यह आंदोलन अब तक का सबसे लंबा चलने वाला आंदोलन बन चुका है।
पिछले सितंबर को लाए गए कानूनों में प्रावधान हैं कि किसान अपने उत्पाद मंडियों के बाहर सीधे ही किसी को भी बेच सकते हैं। सरकार का कहना है कि इससे किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिल पाएंगे। उधर किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं क्योंकि इससे उनकी मोलभाव की क्षमता कम होगी और बड़े उद्योगपतियों व निजी कंपनियों की ताकत बढ़ जाएगी। भारत के कुल जीडीपी का लगभग 15 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से आता है, और आधे से ज्यादा आबादी सीधे या अपरोक्ष रूप से आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है।
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