इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अब केवल देसी नस्ल के बैल ही जलीकट्टू खेल में शामिल हो पाएंगे। मद्रास हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए हैं। तमिलनाडु में इस खेल का आयोजन किया जाता है। हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया है कि जलीकट्टू आयोजन में केवल देसी नस्ल के बैलों को ही शामिल होने की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह बैल मालिकों और किसानों को सब्सिडी या प्रोत्साहन के माध्यम से देशी नस्लों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करे। दरअसल, जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है, जो पोंगल के त्योहार पर आयोजित होता है। इसमें बैलों से इंसानों की लड़ाई कराई जाती है। हालांकि, इस खेल में कई बार जानें भी चली जाती हैं। जल्लीकट्टू को तमिलनाडु के गौरव तथा संस्कृति का प्रतीक कहा जाता है। माना जाता है कि यह 2000 साल पुराना खेल है जो उनकी संस्कृति से जुड़ा है।