India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग (Festival Of Ideas) अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा कर रहे हैं। इसी कड़ी में बॉलिवुड से OTT तक सफर तय कर चुके तीन दिग्गज श्रिया पिलगांवकर (Shriya Pilgaonkar), सुपर्ण वर्मा (Suparn Verma),अतुल तिवारी (Atul Tiwari) ने नए उभरते OTT पलेटफार्म को लेकर अपने विचार सांझा किए।
अभिनेत्री श्रिया पिलगांवकर (Shriya Pilgaonkar) से जब ये पुछा गया कि आपने शाहरूखान के साथ बड़े परदे पर काम किया साथ ही आपने OTT को भी चूज किया और आपको इस प्लेटफार्म पर भी खुब सराहा गया। तो श्रिया ने कहा कि मैने हमेशा एक अच्छे स्क्रिप्ट को चूज किया चाहे वो कोई विज्ञापन हो कोई सार्ट फिल्म हो कोई वेब सिरीज हो। मैं कह सकती हूं कि मैं इस मामले में लकी हूं कि मुझे अच्छे सक्रीप्ट मिले हैं। जब भी मैं कुछ पढ़ती हूं एक विवर के नज़र से देखती हूं।
डायरेक्टर सुपर्ण वर्मा ने OTT की सफलता पर बात करते हुए कहा कि आप जब OTT के लिए काम करते हैं तो आपके पास दो प्रेसर नहीं होता। एक शुक्रवार का प्रेसर आप बॉक्स ऑफिस के लिए नहीं बना रहे होते हैं। दूसरा यहां आपको अपने सक्रीपट में मसाला डालने की मजबूरी नहीं होती। जब आप OTT के लिए लिखते हैं तो आप कैरेक्टर के डिप में जाते हैं आप के पास समय की पाबंदी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कोविड में जब लोग घर पर बैठ कर बोर हो रहे थे तो लोगों को OTT ने अपनी तरफ खिचा लोगों ने उसे पसंद भी किया। OTT ने लोगों को कुछ अलग देखने को मजूर किया। आज OTT पर आप हर भाषा में कंटेंट देख सकते हैं। OTT के जरिए इंडिया को एक होते देखा जा सकता है। OTT में आप साउथ और हिंदी भाषी एक्टर को एक साथ काम करते देख सकते हैं। अलग भाषा होने के बावजूद भारतीय लोगों को एक साथ काम करते देखा जा सकता है। OTT vs सिनेमा की बात करते हुए सुपर्ण वर्मा ने कहा कि दोनों ही माध्यम अपने आप में खास हैं औऱ दोनो ही बने रहेंगे। अगर पिक्चर अच्छी है तो लोग जाकर देखेंगे।
फिल्म लेखक और अभिनेता अतुल तिवारी ने OTT को एक्टर्स और क्रिएटिव लोगों के लिए अच्छे दिन जैसे बतया। अतुल तिवारी ने कहा कि ये कहा जा सकता है कि ये कहा जा सकता है कि एक्टर्स और क्रिएटीव लोगों के लिए अच्छे दिन आ गए हैं। नहीं मैं देश की बात नहीं कर रहा हू लेकिन, हम क्रिएटीव लोगों के लिए चाहें वो कैमरे के सामने हो या आगे पीछे। अच्छे दिन आ गए हैं हमारे ड्राइवर के लिए , मेरे मेड क लिए , मेरे बिल्डिंग के वाच मैन के लिए। वो जो फिल्म देखने के लिए फिल्म हॅाल तक नहीं जा सकते हैंष आज जब मैं रात को घर जाता हूं तो देखता हूं मेर वाचमैन अपने मोबाइल में कुछा ना कुछ देख रहा होता है।
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