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26 से मनमोहन सिंह का वो गहरा नाता…जन्म से लेकर मृत्यु तक नहीं छोड़ा इस अंक ने अर्द्धशात्र का पीछा, जानें क्या थी कहानी

India News (इंडिया न्यूज), Former PM Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, मनमोहन सिंह, जिन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के भीष्म पितामह के रूप में जाना जाता है, की जिंदगी कई अजीब संयोगों और प्रेरणादायक घटनाओं से भरी हुई है। उनकी ज़िन्दगी का सबसे दिलचस्प संयोग यह था कि उनका जन्म और निधन दोनों ही 26 तारीख को हुआ।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। जब भारत का बंटवारा हुआ, तो उनका परिवार अमृतसर आकर बस गया, और यहीं से उनकी असली यात्रा शुरू हुई। अमृतसर में उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की, और वहीं से उनका जीवन एक नए मोड़ पर बढ़ा। गाह गांव में जहां मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था, वहां अब उनके नाम पर एक स्कूल भी है, जिसका नाम ‘मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल’ रखा गया है। इस स्कूल में मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली थी, और आज यह गांव आदर्श गांव बन चुका है। यहां के लोग उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं और उनके योगदान को सराहते हैं।

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शिक्षा और कठिनाइयाँ

मनमोहन सिंह का शिक्षा जीवन भी संघर्षपूर्ण था। गाह गांव से अमृतसर पहुंचे मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की, इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए। फिर, उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डीफिल (Doctor of Philosophy) की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान उनकी बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि कैसे उनके पिता को पैसों की तंगी का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने ईमानदारी और मेहनत का दामन कभी नहीं छोड़ा। इस संघर्ष ने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और बाद में वे भारत के रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे, जहां उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।

प्रधानमंत्री बनने का सफर

मनमोहन सिंह की प्रमुख उपलब्धियों में से एक यह थी कि वे पहले भारतीय थे, जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। जवाहरलाल नेहरू के बाद वे दूसरे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने दो बार यह जिम्मेदारी संभाली। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने कई आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें विशेष रूप से 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के प्रयास शामिल थे।

उनकी सबसे बड़ी सफलता में से एक 2008 में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील को लेकर था। इस निर्णय को लेकर उनकी सरकार पर कड़ी आलोचनाएँ भी हुईं, लेकिन उन्होंने इसे देश के हित में जरूरी माना और अपनी सरकार को इस पर दांव पर लगा दिया। उनका दृष्टिकोण था कि आम सहमति से ही देश की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

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सादगी और नेतृत्व की मिसाल

मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी विशेषता उनकी सादगी थी। वे हमेशा अपने काम से काम रखते हुए भी देश के लिए बड़े फैसले लेते थे। उनकी ईमानदारी, दृढ़ता और निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक आदर्श नेता बना दिया। चाहे वह आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया हो या फिर विदेश नीति में महत्वपूर्ण कदम, उन्होंने हमेशा भारत के हित को सर्वोपरि रखा।

निधन और अंतिम विदाई

मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर 2024 को अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से देश भर में शोक की लहर दौड़ गई, और सरकार ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया। मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में अविस्मरणीय रहेगा। उनकी सरलता, मेहनत, और नेतृत्व शैली आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।

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मनमोहन सिंह की जिंदगी एक आदर्श है, जो हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, ईमानदारी, कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

Prachi Jain

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