P.M Modi On Chhath Puja : बिहार के महापर्व छठ का आगाज हो चुका है। छठ के महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई है। चार दिनों तक मनाए जाने वाले छठ का दो दिन पहला दिन नहाय खाय और दूसरा दिन खरना समाप्त हो चुका है।आज तीसरा दिन है। आज के दिन अस्ताचलगामी सूर्य यानी डूबते हुए सुर्य को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाएगी । ऐसे में घाटों पर छठ के महापर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. अब 30 अक्टूबर यानी आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती महिलाएं उपवास रहती हैं और शाम नें किसी नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने देश के लोगों को छठ पूजा पर शुभकामनाएं दी है।

प्रधांमंत्री मोदी ने कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशवासियों को छठ पूजा की शुभकामनाएं दीं। एक ट्वीट में उन्होंने कहा “सूर्यदेव और प्रकृति की उपासना को समर्पित महापर्व छठ की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान भास्कर की आभा और छठी मइया के आशीर्वाद से हर किसी का जीवन सदैव आलोकित रहे, यही कामना है।”

 

गृहमंत्री अमित शाह ने भी दी शुभकामनाएं

देश के गृहमंत्री अमित शाह ने भी छठ पूजा के पावन अवसर पर देश को शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया। अमित शाह ने अपने ट्वीट में लिखा , “समस्त देशवासियों को सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं। छठी मैया सभी को सुख, शांति, समृद्धि और आरोग्य प्रदान करें।”

 

आज देंगे अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

बता दें अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सभी जरूरी चीजों की खरीदारी एक दिन पहले यानी खरना के दिन ही पूरी कर ली जाती है. अब शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय इन सभी चीजों का प्रयोग किया जाएगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि के दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और संध्या काल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं. ये अर्घ्य पानी में दूध डालकर दिया जाता है. सूर्यास्त के समय व्रती महिला के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहते हैं. इस दिन बांस से बनी टोकरी जिसे लोक भाषा में सूप कहा जाता है उसमें फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल, फूल, चावल के लड्डू, मूली, कंदमूल आदि रखकर पूजा की जाती है।

शाम के समय घाट का रूख करते हैं लोग

बता दें आज शाम के समय लोग घाटों का रूख करेंगे । बता दें इन घाटों को कई दिन पहले से सजाया जाता है और इस लायक बनाया जाता है कि किसी को पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या ना हो। जिन लोगों के आस पास कोई घाट या तालाब नहीं होता वो अपने आस पास गढ़ा बना कर एक घाट का रूप दे देते हैं और भगवान सुर्य की पूजा यंही करते हैं। इस समय बिहार के घाटों का रौनक देखते ही बनता है।

ये भी पढ़ें – Chhath Puja 2022 Day 3: आज दिया जाएगा भगवान सूर्य को अर्घ्य, जाने सूर्यास्त का समय और पूजा विधि