इंडिया न्यूज, नई दिल्ली (Rashtriya Chikitsa Aayog) : पाकिस्तान से आये हिंदू और सिख अन्य अल्पसंख्यक डाक्टरों को अब भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति दी जाएगी। इसका लाभ उन लोगो को मिलेगा जो 31 दिसंबर 2014 के बाद अपना वतन छोड़कर भारत आये थे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने उनके लिए देश में चिकित्सक के रूप में सेवा देने के द्वार खोल दिए हैं।
कोरोना काल के समय में यानि 2020 में इन डॉक्टरों ने अपनी सेवाएं देने की पेशकश की थी। बताया जाता है कि 2000 के बाद भारत पहुंचे पाक हिंदू शरणार्थी परिवारों में 300 से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर हैं। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आये हुए हैं।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने ऐसे लोगों से आवेदन मांगे हैं, जिन्होंने आधुनिक चिकित्सा या एलोपैथी की प्रैक्टिस करने के लिए जरूरी स्थायी रजिस्ट्रेशन अनुदान के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त की है।
यूएमईबी द्वारा शुक्रवार को एक सार्वजनिक नोटिस जारी जिसके अनुसार, चुने गए आवेदकों को आयोग या उससे अधिकृत एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी।
एनएमसी ने जून में विशेषज्ञों के एक समूह का गठन किया था ताकि प्रस्तावित परीक्षण के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें। पाकिस्तान से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के बीच मेडिकल स्नातकों को सक्षम बनाने की भी पहल की गई है। इसके बाद वे यहां प्रैक्टिस करने के लिए स्थायी रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर सकेंगे।
यूएमईबी के अनुसार, आवेदक के पास एक वैध चिकित्सा योग्यता होनी चाहिए और भारत में प्रवास से पहले पाकिस्तान में प्रैक्टिस किया होना चाहिए।
आवेदकों को एनएमसी वेबसाइट पर दिए गए लिंक के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन भरने के लिए दिए गए निदेर्शों का सख्ती से पालन करना होगा। आयोग द्वारा ऑफलाइन आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। यह बताया जाता है, कि पाकिस्तान से भारत आ गए करीब लोगों में 300 डॉक्टर हैं।
पाकिस्तान से आये ये लोग कई समय से भारत में रह रहे हैं लेकिन इनको यहां प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं है। 2012 में एमसीआई ऐसे डॉक्टरों की डिग्रियों को मान्यता दे दी थी लेकिन उसके कुछ ही समय बाद एमसीआई समाप्त हो गया और विदेशी मेडिकल डिग्री से संबंधित नियम बदल गए।
जो भी लोग किसी फॉरेन यूनिवर्सिटी से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करते है उन्हें भारत में आयोजित एक परीक्षा पास करनी होती है जिसके बाद ही वह भारत में प्रैक्टिस कर सकते हैं। हालांकि, पांच अंग्रेजी भाषी देशों-अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री भारत में मान्य हैं और इन देशों से मेडिकल की डिग्री हासिल करने वालों को परीक्षा में बैठने की जरूरत नहीं पड़ती है।
इस परीक्षा को पास करना बहुत कठिन होता है बहुत कम संख्या में लोग इसमें सफल हो पाते है। पाकिस्तान के मेडिकल एजुकेशन बोर्ड को वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मेडिकल एडुकेशन की मान्यता अभी नहीं मिली है। पाकिस्तान को 2024 तक फेडरेशन से मान्यता हासिल करनी होगी।
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