इंडिया न्यूज, इस्लामाबाद:
Pakistan Supreme Court Verdict पाकिस्तान (pakistan) में जारी सियासी घमासान (political turmoil) के बीच सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के मामले में गुरुवार रात को फैसला सुना दिया। कोर्ट ने नेशनल एसेंबली (national assembly) के डिप्टी स्पीकर के फैसले को गैर संवैधानिक बताया और कहा कि अब अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग नौ अप्रैल को होगी।
इससे पहले दोपहर में कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। उसी समय कोर्ट ने कहा था कि तीन अप्रैल को नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर ने जो फैसला सुनाया वह गलत था। चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान उमर अता बंदियाल ने भी कहा था कि नेशनल असेंबली में तीन अप्रैल को डिप्टी स्पीकर का फैसला संविधान के अनुच्छेद 95 का उल्लंघन दिखाई देता है।
दिन में कोर्ट के फैसले से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी कानूनी टीम के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे दिन की सुनवाई में नेशनल असेंबली से 3 अप्रैल को हुई कार्यवाही का पूरा रिकॉर्ड भी तलब किया था। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह केवल इस बात की सुनवाई कर रहा है कि जो फैसला डिप्टी स्पीकर ने दिया वह उनके अधिकार क्षेत्र में आता था या नहीं और वह कानूनी तौर पर ठीक था या नहीं। कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि स्टेट या केंद्र के पालिसी मैटर में वह अपना हस्तक्षेप नहीं करने वाला है।
इमरान खान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पत्रकार वार्ता में विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इमरान खान की बढ़ती शख्सियत पच नहीं रही थी, इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया। उन्होंने सिलसिलेवार घटनाक्रम का जिक्र करते हुए विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज किया है।
कुरैशी ने ब्रसेल्स भेजे गए पाकिस्तान के राजदूत पर उठे सवालों को भी खारिज किया है। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पीएम इमरान खान के रूस दौरे पर सवाल उठाए, जो मुनासिब नहीं थे। पाकिस्तान एक आजाद मुल्क है और उसके यूक्रेन से भी बेहतर संबंध हैं। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि पीएम के रूस दौरे का यूक्रेन से कोई लेना देना नहीं था। अमेरिका को इसमें दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए थी।
सेना की तरफ से बुधवार को कहा गया था कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में विदेशी ताकत की कोई भूमिका नहीं है। बता दें कि इमरान खान देश और दुनिया को इसी बात का विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे थे कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में विदेशी ताकतों की भूमिका है। उन्होंने इस संबंध में एक पत्र का जिक्र किया था जिसका सेना और अमेरिका दोनों ही खंडन कर चुके हैं। इस बीच एक सर्वे में देश के 64 फीसद लोगों ने देश में बढ़ती महंगाई को सरकार की विफलता बताया है।
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