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2005 में भारतीय नागरिकता पाने वाला पाकिस्तानी हिंदू निकला ISI जासूस, रक्षा कर्मियों की करता था जासूसी

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 20, 2023, 10:55 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), गुजरात से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सैन्य खुफिया (एमआई) द्वारा उपलब्ध कराए गए विशिष्ट इनपुट के आधार पर राज्य के तारापुर शहर से पाकिस्तानी मूल के 53 वर्षीय एजेंट लाभशंकर माहेश्वरी को गिरफ्तार किया है।

2005 में दी गई थी भारतीय नागरिकता

एक अधिकारी के अनुसार कथित तौर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को व्हाट्सऐप के जरिए ट्रैकिंग मैलवेयर भेजकर भारतीय रक्षा कर्मियों की जासूसी करने में मदद करता था। उन्होंने बताया कि आरोपी को 2005 में भारतीय नागरिकता दी गई थी।

आरोपी गिरफ्तार

एटीएस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 123 और 121-ए  और सूचना प्रौद्योगिकी की संबंधित धाराओं का इस्तेमाल करते हुए बुधवार को अहमदाबाद के एटीएस पुलिस स्टेशन में मुख्य संदिग्ध लाभशंकर माहेश्वरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और गुरुवार को उसे गिरफ्तार कर लिया।

इस वजह से रचा साजिश

एटीएस के पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश जाट ने बताया कि “जांच से पता चला है कि पाकिस्तानी मूल के माहेश्वरी को 2005 में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी और वह पड़ोसी देश में रह रहे रिश्तेदार से मिलने के लिए स्वयं, अपनी पत्नी और परिवार के दो अन्य सदस्यों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज करने के एवज में साजिश का हिस्सा बनने को सहमत हुआ था”

पाकिस्तानी हिंदू है आरोपी

प्रारंभिक पूछताछ से पता चला कि गुजरात के आणंद जिले के तारापुर में रहने वाले लाभशंकर माहेश्वरी एक पाकिस्तानी हिंदू है जो 1999 में इलाज के लिए अपनी पत्नी के साथ भारत आया था। शुरुआत में, वह तारापुर में अपने ससुराल में रहे। इसके बाद उन्होंने लंबी अवधि के वीजा के लिए आवेदन करना जारी रखा और तारापुर में अपने ससुराल वालों के सहयोग से एक किराने की दुकान, कई किराए की दुकानों/स्टोरों और खुद के एक घर के साथ स्वयं को एक सफल व्यवसायी के रूप में स्थापित किया। हालांकि, दंपति बिना किसी संतान के रहते थे। इसके बाद, उन्हें 2005 में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई।

2022 में पाकिस्तान गया था आरोपी

जानकारी के अनुसार 2022 की शुरुआत में आरोपी पाकिस्तान में अपने माता-पिता से मिलने गया। कथित तौर पर, साजिश की योजना उनकी वीज़ा प्रक्रिया के दौरान और पाकिस्तान में उनके माता-पिता के घर पर डेढ़ महीने के प्रवास के दौरान की गई थी।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ संपर्क में था आरोपी

माना जाता है कि वह तभी से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ संपर्क में था। संबंधित व्हाट्सएप अकाउंट के निर्माण की सुविधा के अलावा, उसने पाकिस्तान को सिम कार्ड भेजे और पाकिस्तानी एजेंसी की ओर से कई अन्य संदिग्ध जासूसी वाहकों को धन हस्तांतरित करने सहित शत्रु एजेंसी को अन्य सहायता प्रदान की।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के पास था भारतीय सिम कार्ड

पुलिस अधीक्षक ने संवाददाताओं को बताया, “भारतीय सैन्य खुफिया को हाल ही में जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सेना या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने किसी तरह एक भारतीय सिम कार्ड हासिल कर लिया था, जिसका इस्तेमाल व्हाट्सऐप के जरिए भारतीय रक्षा कर्मियों को मैलवेयर भेजकर जासूसी करने के लिए किया जा रहा था। सूचना के आधार पर, हमने माहेश्वरी को आनंद के तारापुर से पकड़ा, जहां वह किराने की दुकान चलाता है।”

अज्ञात व्यक्ति के हस्तक्षेप के बाद मिला वीजा

अधिकारी ने बताया, “पिछले साल, जब माहेश्वरी और उनकी पत्नी ने पाकिस्तान के लिए ‘विजिटर वीजा’ के लिए आवेदन किया था, तब पड़ोसी देश में रहने वाले उनके रिश्तेदार किशोर रामवानी ने उन्हें पाकिस्तान दूतावास से जुड़े एक व्यक्ति से संपर्क करने के लिए कहा था।” उन्होंने बताया, “अज्ञात व्यक्ति के हस्तक्षेप के बाद माहेश्वरी और उनकी पत्नी को वीजा मिला। भारत लौटने के बाद, उन्होंने अपनी बहन और भतीजी के लिए वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए फिर से उस व्यक्ति से संपर्क किया।”

जाट ने बताया, “बदले में, पाकिस्तान दूतावास (उच्चायोग) में संपर्क रखने वाले व्यक्ति ने माहेश्वरी को एक सिम कार्ड का उपयोग करके अपने मोबाइल फोन पर व्हाट्सऐप शुरू करने के लिए कहा, जो उसे जामनगर के निवासी सकलैन थैम से प्राप्त हुआ था।

फिर माहेश्वरी ने उस व्यक्ति के साथ व्हाट्सऐप शुरू करने के लिए ओटीपी साझा किया।” उन्होंने बताया, “निर्देश के अनुसार, माहेश्वरी ने खुद को एक आर्मी स्कूल का कर्मचारी बताकर रक्षा कर्मियों को संदेश भेजना शुरू कर दिया और उनसे स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड करने के लिए एक ‘एपीके’ फ़ाइल डाउनलोड करने का आग्रह किया।”

कुछ मामलों में, आरोपी ने सैन्यकर्मियों को यह दावा करते हुए एप्लिकेशन इंस्टॉल करने का लालच दिया था कि यह सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान का हिस्सा था।

जाट ने बताया, “वास्तव में, वह ‘एपीके’ फाइल एक ‘रिमोट एक्सेस ट्रोजन’ थी, एक प्रकार का मालवेयर जो मोबाइल फोन से सभी जानकारी, जैसे संपर्क, स्थान और वीडियो निकालता है, और डेटा को भारत के बाहर एक कमान एवं नियंत्रण केंद्र को भेजता है. अब तक, हमने पाया कि कारगिल में तैनात एक सैनिक का मोबाइल फोन उस मालवेयर से प्रभावित था. हमें अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि और कितने लोगों को निशाना बनाया गया।”

उन्होंने कहा, प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जब माहेश्वरी की बहन इस साल पाकिस्तान गई थी, तो वह उस सिम कार्ड को अपने साथ ले गई और उसे एक रिश्तेदार को सौंप दिया, जिसने उसे वहां एक अधिकारी को दे दिया। अधिकारी के मुताबिक सिम कार्ड थैम ने एक पाकिस्तानी ऑपरेटिव के निर्देश पर खरीदा था और एक अन्य जामनगर निवासी असगर मोदी द्वारा सक्रिय किया गया था। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि दोनों देश छोड़ चुके हैं।

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