हिमाचल की राजनीति के चाणक्य थे पंडित सुखराम

इंडिया न्यूज, शिमला:
दुनिया को कल रात अलविदा कह गए पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम (Former Union Minister Pandit Sukh Ram) का देश के अलावा हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजनीति (Politics) में भी खासा प्रभाव रहा है। उन्हें हिमाचल में राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। पंडित सुखराम केंद्र में दूरसंचार मंत्री (former union telecom minister pandit sukhram) रहे हैं और उन्हें देश व प्रदेश में संचार क्रांति के लिए भी जाना जाता है। हालांकि केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रहते उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे।

सदर विधानसभा से 13 बार चुनाव लड़ा, हर बार जीते

हिमाचल की राजनीति के चाणक्य थे पंडित सुखराम

पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram) ने हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले की सदर विधानसभा सीट से 13 बार चुनाव लड़ा और हर बार उन्होंने जीत दर्ज की। साथ ही उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़े और केंद्र सरकार में वह अलग-अलग मंत्री पद पर रहे। पंडित सुखराम ने वर्ष 1984 में कांग्रेस के टिकट से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। उसी साल वह भारी बहुमत से जीत कर संसद पहुंचे।

1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से हारे

पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram) वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार महेश्वर सिंह से हार गए थे। इसके बाद वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में पंडित सुखराम ने महेश्वर सिंह को हरा दिया और वह संसद पहुंचे। इसके बाद साल 1996 में पंडित सुखराम एक बार फिर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।

1998 में कांग्रेस से अलग हुए, हिमाचल विकास कांग्रेस बनाई

हिमाचल की राजनीति के चाणक्य थे पंडित सुखराम

पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram) साल 1998 में कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) नाम से अपनी पार्टी का गठन किया। लोकसभा चुनाव में हालांकि हिविकां खास नहीं कर पाई। केवल इस पार्टी से कर्नल धनीराम शांडिल लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंच सके थे।

हिविकां ने हिमाचल प्रदेश की सियासत में हालांकि खूब सुर्खियां बटोरी। हिविकां ने वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीती थीं। वहीं भाजपा भी इन चुनावों में 31 व कांग्रेस भी 31 सीटें जीत सकी थीं। हिविकां ने बीजेपी को समर्थन दिया और प्रेम कुमार धूमल पहली बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बन गए। वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बनने से रह गए थे।

पंडित सुखराम ने 2003 में आखिरी विधानसभा चुनाव लड़ा

वर्ष 2003 में पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुखराम (Pandit Sukh Ram) ने आखिरी विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद 2007 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। सुखराम ने राजनीतिक विरासत अपने बेटे अनिल शर्मा सौंप दी। इसके बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सुखराम परिवार बीजेपी में शामिल हो गया।

इसके बाद अनिल शर्मा ने बीजेपी की तरफ से चुनाव लड़ा और जीत गए। अनिल शर्मा को जयराम सरकार में मंत्री पद भी मिला। लोकसभा चुनाव 2019 में पंडित सुखराम के पोते आश्रय कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद अनिल शर्मा ने जयराम सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

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